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इज्जतनगर स्टेशन से हटेगी 500 साल पुरानी मज़ार , मौलाना रजवी ने लिया जायज़ा

लखनऊ: बरेली में जहां रेलवे ने इज्जतनगर स्टेशन के पास बनी हुई मजार को हटाने का नोटिस जारी किया है. वहीं, मुस्लिम समुदाय ने इसे गैर कानूनी बता इसकी जमकर मुखालफत की. तमाम मुसलमानों का इस मामले में कहना है कि इस पुरानी एक कब्र को हटाना भी फकत साज़िश है। उत्तर प्रदेश के बरेली […]

  • December 23, 2022 7:36 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

लखनऊ: बरेली में जहां रेलवे ने इज्जतनगर स्टेशन के पास बनी हुई मजार को हटाने का नोटिस जारी किया है. वहीं, मुस्लिम समुदाय ने इसे गैर कानूनी बता इसकी जमकर मुखालफत की. तमाम मुसलमानों का इस मामले में कहना है कि इस पुरानी एक कब्र को हटाना भी फकत साज़िश है। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में 500 साल पुराने मज़ार को विवाद गहराने लगा है. जराए के मुताबिक़, रेलवे प्रशासन इसे ज्यादती के दायरे में लेते हुए इसे हटाने की कार्रवाई करेगा.

 

मौलाना रजवी ने मज़ार का जायज़ा लिया

दरगाह आला हजरत से जुड़े तंज़ीम अखिल भारतीय मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी आज सुबह इज्जत नगर रेलवे स्टेशन स्थित सैयद ननेह मियां शाह की मजार पर आए . मौलाना ने सबसे पहले फातिहा पढ़ी। इसके बाद उन्होंने स्टेशन अधीक्षक अभय कुमार और तमाम अफसरान से मुलाकात की। जब मौलाना ने पूछा कि रेलवे अधिकारी ने कब्र हटाने का फरमान क्यों दिया है. इस मामले में थानाध्यक्ष ने कहा कि मुझे भी रद्दीकरण की इत्तिला नहीं दी गयी थी, इस बारे में मुझे अख़बारों से मालूम हुआ.

 

क्या कहा मौलाना रजवी ने

मौलाना ने कहा कि डीआरएम रेलवे कार्यालय के अधिकारी सुरेंद्र कुमार ने इस मकबरे को हटाने का नोटिस दिया था। सुरेंद्र कुमार ने नोटिस देने से पहले जिला पुलिस और प्रशासनिक या धार्मिक अधिकारियों से लाज़मी मशवरा नहीं किया बल्कि 28 दिसंबर 2022 को सीधे कब्र को हटाने का पैगाम दे दिया। उनके आदेश के बाद सुन्नी सूफी मुसलमानों में अफ़क़ार का माहौल है. इससे बरेली जिले की गंगा-जमुनी तहजीब को नुकसान होने का खतरा है।

 

कब्र का इतिहास?

 

मजार शरीफ की कहानी सुनाते हुए मौलाना ने कहा कि यह मजार 1565 में बनी थी। ब्रिटिश शासन के दौरान रेल की पटरियां बिछाई गई थीं। उस समय यह मकबरा रेल की पटरियों के बीच में खड़ा था। अंग्रेज अफसरों ने जब मकबरे को हटाकर रेल की पटरियां बिछाने की कोशिश की तो तमाम मजदूरों को काफी मशक्क्त उठानी पड़ी. अगले दिन जब ब्रिटिश अफसर जायज़ा लेने आए तो उन्होंने उस मज़ार को देख अपना इरादा बदल दिया।

लोगों के लिए इबादतगाह

इज्जत नगर रेलवे स्टेशन पर अफसरों से मुकम्मल मुलाक़ात के बाद मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कब्र पर अपना दुआ पढ़ी. इसके बाद मज़ार पर हाजरी देने वाले हिन्दू मुस्लिम ख़िदमत गारों से बात की जिनका मानना था कि हमें इस मजार से फ़ैज़ मिला है. हम लोग यहाँ पर अपनी दुआएं मांगते हैं, मिन्नतें मांगते हैं और जायज़ मुरादें कबूल भी होती है.

 

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