नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने RBI और वित्त मंत्रालय को नोटिस जारी कर पूछा है क्या पुराने 1000 और 500 के नोट को जमा कराने के लिए सरकार कोई खिड़की खोल सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने 4 हफ्ते में इस संबंध में जवाब मांगा है.
दरअसल आरुषि जैन और अपूर्व जैन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि उनके दिवंगत माता पिता के लॉकर से 60 लाख रुपये (पुराने नोट) मिले है जिसे वो बदलवाना चाहते है. याचिका में कहा गया है कि उनके माता पिता की 9 साल पहले एक कार हादसे में मौत हो गई थी.
उस समय वो नाबालिग़ थे. जब वो बालिग हुए तो दिल्ली के साकेत कोर्ट के आदेश पर इसी साल 17 मार्च में उन्होंने लॉकर खोला लेकिन तब तक पुराने नोट जमा कराने की समय- सीमा खत्म हो चुकी थी. ऐसे में उन्हें पुराने नोट को बदलवाने की इजाजत दी जाए.
इससे पहले ऐसे ही एक मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वो 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को जमा करने के लिए फिर से खिड़की खोलने के पक्ष में नहीं है. सरकार ने कहा है कि ऐसा करने से नोटबंदी के फैसले का उद्देश्य सफल नहीं हो पाएगा.
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में सरकार ने कहा था कि कालेधन पर लगाम लगाने के लिए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने का निर्णय लिया गया था. नोटबंदी के बाद लोगों को पुराने नोटों को बदलने का पर्याप्त समय दिया गया लिहाजा ऐसे में और लोगों को और मौका नहीं दिया जा सकता.
सरकार का मानना है कि अगर अब जमा करने के लिए एक बार खिड़की खोली गई तो बेनामी लेनदेन और नोट जमा करने के लिए दूसरे व्यक्ति के इस्तेमाल करने के मामलों में और इजाफा हो जाएगा. सरकार के लिए यह पता लगाने में परेशानी होगी कि कौन सही है और कौन गलत.
वही मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था अगर कोई व्यक्ति यह साबित करता हो कि उसके पास वैध तरीके से कमाई गई रकम है तो उस व्यक्ति को नोट जमा करने से कैसे महरूम रखा जा सकता है.
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