नई दिल्ली: मुंबई में भक्त ढोल-नगाड़ों के साथ गणपति विसर्जन कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आज बॉम्बे हाईकोर्ट के साइलेंस जोन के आदेश पर रोक लगा दी है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते में हाईकोर्ट के याचिकाकर्ता से जवाब मांगा है.
बता दें कि शुक्रवार को ध्वनि प्रदूषण से जुड़े नियमों में बदलाव करने वाली केंद्र सरकार के कदम पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. वर्ष 2000 के ध्वनि प्रदूषण संबंधी नियमों में केंद्र सरकार द्वारा किए गए बदलाव को हाईकोर्ट ने असंवैधानिक मानते हुए प्रथम दृष्टया इसे संविधान के अनुच्छेद 21 व 14 के विपरीत बताया है. हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकार ने कानून में बदलाव करते समय जनहित से जुड़े सिद्धांत का पालन नहीं किया है. पर्यावरण कानून के तहत इसे अनिवार्य किया गया है, लेकिन केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने इसका पालन नहीं किया.
जस्टिस अभय ओक की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि हर नागरिक को गरिमा व सुख से रहने का अधिकार है. तेज आवाज सुनने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता और इससे अनेक नागरिक असाध्य रोगों और बीमारियों का शिकार हो जाते हैं.
मुंबई बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. जिसमें कहा गया है कि अगर हाईकोर्ट का साइलेंस जोन का फैसला बरकरार रखा गया तो गणेश विसर्जन में दिक्कत होगी. हाईकोर्ट की रोक के बाद सभी अस्पतालों, धार्मिक स्थलों, स्कूल-कॉलेज के 100 मीटर के दायरे वाला क्षेत्र शांत क्षेत्र या साइलेंस जोन बना रहता. दरअसल बीएमसी ने मुंबई में 1500 जगहों का शांत क्षेत्र घोषित कर रखा था.