नई दिल्ली: जेपी इंफ्राटेक में फ्लैट बुक करने वाले खरीददारों को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें जेपी को दिवालिया घोषित करने की बात कही गई थी. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने फ्लैट बुक कराने वाले ग्राहकों की शिकायत पर जेपी इंफ्राटेक को नोटिस भी जारी किया है.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़ की बैंच ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जेपी इंफ्राटेक से जवाब मांगा है. दरअसल फ्लैट बुक करने वाले ग्राहकों ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा था कि जेपी इंफ्राटेक अगर दिवालिया घोषित होती है तो उनके पैसे डूब जाएंगे. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 10 अक्टूबर को अगली तारीख रखी है.
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा गया था कि ये 30 हजार फ्लैट खरीददारों से जुड़ा मामला है जिन्होंने घर के लिए अपनी खून-पसीने की कमाई जेपी के 27 प्रोजेक्ट में लगाई. जनहित याचिका में ये भी मांग की गई है कि विकल्प के तौर पर ये भी कहा गया है कि सरकार की तरफ से ये दिशानिर्देश जारी हों कि फ्लैट के ओनर या खरीददार भी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के जैसे ही सुरक्षित लेनदार हैं.
इससे पहले 10 अगस्त को जेपी इंफ्राटेक के प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक कराने वाले लोगों को उस वक्त तगड़ा झटका लगा था जब एनसीएलटी ने आईडीबीआई बैंक की याचिका पर सुनवाई करते हुए जेपी इंफ्राटेक को 526 करोड़ का बैंक डिफॉल्टर मानते हुए उसे दिवालिया घोषित करने का फैसला सुनाया था. जेपी इंफ्राटेक सड़क निर्माण और रियल स्टेट के बिजनेस में है. जेपी ने ही यमुना एक्सप्रेस वे का निर्माण किया है जो दिल्ली से आगरा तक जाती है.