मुंबई: ये शिकारी राम रहीम का सबसे बड़ा राज आज हम खोलेंगे. किसी को नहीं पता था कि सिरसा के डेरे में राम रहीम अय्याशी की मैनेजमेंट कंपनी चलाता था. लड़कियों को बहला-फुसलाकर गंदी गुफा में लाने के लिए राम रहीम ने अपने खास लोगों को अलग-अलग जिम्मेदारियां तय कर रखी थीं.
कौन थी राम रहीम की सबसे बड़ी राजदार. राम रहीम की गुफा में कब किसको भेजना है. इसकी पूरी जानकारी इन्हीं के पास होती था. आज टीवी पर पहली बार देखेंगे और सुनेंगे कि राम रहीम की सप्त ब्रह्मचारिणी कौन होती थी ? ब्रह्मचारिणी का क्या काम होता था ? हेड साध्वी क्या करती थी ? गर्ल्स हॉस्टल प्रबंधक के जिम्मे क्या काम था ?
बता दें कि जेल जाने से पहले राम रहीम के साथ साए की तरह चिपकी रहने वाली हनीप्रीत फिलहाल एक ठिकाने से दूसरे ठिकाने भागी फिर रही है. बाबा की मुंहबोली बेटी के बारे में अब तक आप बहुत कुछ सुन चुके हैं. लेकिन अब जो खुलासा होने जा रहा है वो बेहद हैरान करने वाला है.
राम रहीम की गुप्त लंका के सबसे ऊपरी पायदान पर हनीप्रीत बैठी हुई थी. राम रहीम के रिश्तेदार भूपिंदर सिंह गोरा ने तो यहां तक कहा कि गुफा की चाभी हनीप्रीत के पास रहती थी. इन बयानों से साफ है कि सोने के बेड पर किस लड़की के साथ किस दिन राम रहीम रात रंगीन करेगा, लड़की का रेप तक करेगा इसकी पूरी जानकारी हनीप्रीत के पास पहले से होती थी.
गजब नाम दिया था राम रहीम ने सप्त ब्रह्मचारिणी. ये सप्त ब्रह्मचारिणी कौन थीं ये सुनिए. सप्तब्रह्मचारिणी वो साध्वियां होती थीं जो राम रहीम की बेहद करीब होती थीं. हनीप्रीत के बाद राम रहीम की सबसे बड़ी राजदार ये सप्त ब्रह्मचारिणी ही होती थीं.
इनका घर से करीब-करीब नाता टूट चुका होता था . डेरा के नियम के मुताबिक सप्त ब्रह्मचारिणी से घर वाले भी इनसे अकेले में नहीं मिल सकते थे. सप्तब्रह्मचारिणी के बाद ब्रह्मचारिणी आती थीं. शातिर राम रहीम ने शिकार को जाल में फंसाने के लिए इन ब्रह्मचारिणियों का इस्तेमाल करता है.
दरअसल डेरा में ब्रह्मचारिणी ही वो साध्वियां होती थीं जो अपने घर आ-जा सकती थीं. मतलब इन्हें डेरा से घर जाने की छूट मिली हुई थी. इसके पीछे शिकारी राम रहीम की मंशा ये थी कि बाहरी दुनिया में रहने वाले लोग ये समझें कि डेरा में रहने वाली लड़कियां किसी दबाव में नहीं हैं.
बाबा इन साध्वियों का बेहद ख्याल रखते हैं और मां-बाप से बिना रोक-टोक मिलने देते हैं. ब्रह्मचारिणी के बाद हेड साध्वी की बारी आती है .दरअसल हर 20 से 25 साध्वियों के ऊपर एक हेड साध्वी होती थीं. इनका काम लड़कियों पर नजर रखना. उनमें आपस में क्या बात होती थी. इसकी जानकारी सीधे बाबा तक पहुंचाना होता था.