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बकरीद 2017 : केरल के त्रिवेंद्रम में आज मनाई जा रही है ईद-एल-अदहा

त्रिवेंद्रम : सऊदी अरब के साथ साथ भारत के केरल में आज ईद-एल-अदहा (बकरीद) मनाई जा रही है. वहीं देश के बाकी हिस्सों में बकरीद का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाएगा. बता दें कि इस्लाम धर्म में बकरीद को काफी पवित्र त्योहार माना जाता है. इस साल ईद-उल-अज़हा या ईद-उल-ज़ुहा या बकरीद दो सितंबर को […]

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  • September 1, 2017 4:28 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
त्रिवेंद्रम : सऊदी अरब के साथ साथ भारत के केरल में आज ईद-एल-अदहा (बकरीद) मनाई जा रही है. वहीं देश के बाकी हिस्सों में बकरीद का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाएगा. बता दें कि इस्लाम धर्म में बकरीद को काफी पवित्र त्योहार माना जाता है. इस साल ईद-उल-अज़हा या ईद-उल-ज़ुहा या बकरीद दो सितंबर को मनाई जाएगी. साल में दो ईद मनाई जाती है. एक को ईद ऊल फितर और एक को ईद उल जुहा यानी की बकरीद कहते हैं. बकरीद को कुर्बानी का पर्व भी कहा जाता है. 
 
मुस्लिमों में ऐसी मान्यता है कि बकरीद के दिन किसी प्रिय चीज की अल्लाह के लिए कुर्बान करनी होती है. यही वजह है कि इस पर्व का इस्लाम में काफी ज्यादा महत्व है. इस्लमामिक कैलेंडर के मुताबिक, ईद-उल-जुहा यानी कि बकरीद 12वें महीने धू अल हिज्जा के दसवें दिन मनाई जाती है. 
 
 
क्या है परंपरा:
वर्षों से बकरीद के दिन मुस्लिम समुदाय में बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा है. इसके लिए मुस्लिम समाज के लोग बकरे को काफी शिद्दत से घर में पालते-पोसते हैं और उसके बाद बकरीद के दिन उसे अल्लाह के नाम पर कुर्बान कर देते हैं. ऐसी मान्यता है कि कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. गोश्त के एक हिस्से को घर में रख लिया जाता है और बाद बाकी दोनों हिस्सों को बांट दिया जाता है. 
 
बकरीद मुस्लिम समुदाय के लोग ठीक उसी तरह मनाते हैं, जैसे हिंदू समुदाय के लोग होली मनाते हैं. बकरीद के दिन लोग नये-नए कपड़े पहन कर मस्जिदों में नमाज पढ़ने जाते हैं और वहां पर नमाज पढ़ने के बाद लोग एक दूसरे से गले मिलकर ईद की बधाई देते हैं. इसके बाद ही घर लौटने के बाद कुर्बानी दी जाती है. 
 
क्या है मान्यता:
बकरीद मनाने के पीछे एक मान्यता है. ईद उल अजहा को सुन्नते इब्राहीम भी कहा जाता है. इस्लाम के मुताबिक, अल्लाह ने इब्राहीम की परीक्षा लेने के लिए अपनी सबेस प्रिय चीज कुर्बान करने को कहा. इसके बाद इब्राहीम को लगा कि उनका सबसे प्रिय चीज तो उनका बेटा हबै इसलिए उन्होंने अपने बेटे को ही कुर्बान करने का सोच लिया. 
 
इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय बेटे के प्रति उनका मोह आड़े आ सकता है. इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. जब अपना काम पूरा करने के बाद पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिन्‍दा खड़ा हुआ देखा. यही वजह है कि तब से अब तक कुर्बानी की प्रथा चलती आ रही है. हालांकि, इस मौके पर लोग बकरे की कुर्बानी देते हैं. 
   
बकरीद के मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोग काफी कुछ दान देते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन गरीबों को दान करने से भला होता है. इस दिन लोग सारे गिले-शिकवे को भुलाकर एक-दूसरे को ईद की बधाई देते हैं. घर पर नाना प्रकार के पकवान भी बनते हैं. 

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