नई दिल्ली: बकरीद 2 दिन बाद है लेकिन इसको लेकर देश में एक बहस तेज़ हो गई है. बहस बकरीद के मनाने के तरीके को लेकर है कि ये त्यौहार कैसे मनाया जाना चाहिए. इसको लेकर दो तरह की आवाज़ मुस्लिम संगठनों से ही उठ रही है. एक कहता है कि जानवरों की कुर्बानी बंद हो और बकरीद में कुर्बानी को लेकर मुसलमानों में अंधविश्वास फैला है जबकि दूसरी आवाज़ ये है कि कुर्बानी तो हो लेकिन साफ सफाई और दूसरे धर्म की परेशानियों का भी रखा जाए पूरा ध्यान.
वहीं एक तीसरा धड़ा भी है जो साफ कहता है कि कुर्बानी की जो परंपरा है वो जारी रहेगी और जो मना करेगा उसके घर के सामने जाकर देंगे जानवरों की कुर्बानी. आज इस मुद्दे पर हम महाबहस करेंगे.
बकरीद पर ये विवाद राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के एक बयान के बाद शुरु हुआ. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी को लेकर कड़ा एतराज जताया और कहा कि इसके लिए जागरुकता को लेकर वो पूरे यूपी में अभियान भी चलाएगा. मंच ने कहा है. बकरीद में कुर्बानी को लेकर अंधविश्वास फैला है.
मुसलमान खुद को ईमान वाला तो कहता है लेकिन वास्तव में अल्लाह की राह पर चलने से भ्रमित हो गया है. अब आपको दूसरा बयान बताते हैं जिसमें देश के बड़े मुस्लिम संगठनों ने पूरे देश के मुसलमानों से अपील की है. इस साझा बयान में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमात-ए-इस्लामी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशवरत और मरकाज़ी जमियत अहले हदीस शामिल हैं.
इन साझा बयान में कहा गया है कि पशुओं की कुर्बानी सड़क की बजाए खुली और साफ सुथरी जगह पर दें. अपने काम और व्यवहार से अपने पड़ोसी खासतौर पर दूसरे धर्म में आस्था रखने वालों को किसी भी शिकायत का मौका ना दें. किसी भी हालत में कानून को अपने हाथ में ना लें और खुद पर काबू रखें.
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