धीमी पड़ी देश की विकास दर, वित्त वर्ष की पहली तिमाही में GDP गिरकर 5.7 पर पहुंची

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से नोटबंदी का आंकड़ा जारी किए जाने के एक दिन बाद ही जीडीपी का आंकड़ा जारी कर दिया गया है. वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही यानी जून में खत्म हुई तिमाही के दौरान देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी कि जीडीपी की वृद्धि दर में गिरावट दर्ज की गई है और यह 5.7 फीसदी रही

Advertisement
धीमी पड़ी देश की विकास दर, वित्त वर्ष की पहली तिमाही में GDP गिरकर 5.7 पर पहुंची

Admin

  • August 31, 2017 1:08 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से नोटबंदी का आंकड़ा जारी किए जाने के एक दिन बाद ही जीडीपी का आंकड़ा जारी कर दिया गया है. वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून में खत्म हुई तिमाही के दौरान देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी कि जीडीपी की वृद्धि दर में गिरावट दर्ज की गई है और यह 5.7 फीसदी रही.
 
केंद्रीय सांख्यिकी अधिकारी (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि 5.7 फीसदी रही, जो तीन साल के निम्नतम स्तर पर आ गई है. पिछले वर्ष की इसी तिमाही के दौरान जीडीपी विकास दर 7.9 फीसदी थी. इस गिरावट को काफी बड़ी गिरावट के रूप में देखा जा रहा है. 
 
बता दें कि यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही के 6.1 फीसदी से घटकर 5.7 फीसदी पर आ गई है. पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी ग्रोथ 6.1 फीसदी थी. इससे पिछले साल जीडीपी की रफ्तार 7.9 फीसदी थी. इस बार उम्मीद थी कि जीडीपी के ग्रोथ रेट में सुधार देखने को मिल सकता है मगर ऐसा नहीं हुआ. 
 
ऐसी उम्मीद जताई जी रही है कि जीडीपी में ऐसी गिरावट नोटबंदी और जीएसटी के लागू होने के कारण देखने को मिल रही है. बता दें कि इसी एक जुलाई को पूरे देश में जीएसटी को लागू किया गाय था. 
 
 
बता दें कि इससे पहले आरबीआई ने बुधवार को कहा कि साल 2016 के नवंबर में की गई 500 रुपये और 1000 रुपये की नोटबंदी के बाद प्रचलन से बाहर हुए 1000 रुपए के 99% नोट लौट आए सिस्टम में वापस आ चुके हैं. 
 
आरबीआई ने अपनी 2016-17 की रिपोर्ट में बताया है कि 1000 रुपए के कुल 632.6 करोड़ नोट मार्केट में थे जिनमें नोटबंदी के बाद 8.9 करोड़ नोट को छोड़कर बाकी सारे नोट लोगों ने बैंक में जमा करा दिए. आरबीआई के इस हिसाब और सरकार के बड़े मकसद को मिलाकर बात करें तो देश में 1000 रुपए की शक्ल में मात्र 8.9 हजार करोड़ रुपया ही काला धन था. 
 

Tags

Advertisement