नई दिल्ली : आपराधिक मामलों में सजायाफ्ता होने पर आजीवन चुनाव लड़ने की पाबंदी लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से बड़ी दलील दी गई. याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर दागी लोगों पर आजीवन चुनाव लड़ने की रोक नहीं लगाई जाएगी तो अपनी सजा पूरी करने के बाद राम रहीम भी जेल से बाहर आ कर चुनाव लड़ सकता है.
कोर्ट में कहा गया कि अगर राम रहीम चुनाव लड़ता है तो उसके खिलाफ कौन चुनाव लड़ सकता है और अगर वो चुनाव लड़ता है तो चुनाव जीत कर मंत्री भी बन जाएगा.
याचिकाकर्ता की तरफ से दिनेश द्विवेदी ने कोर्ट में कहा कि मैं उस जज के साहस को सलाम करता हूं और उन दोनों बहनों को जिन्होंने उसके खिलाफ गवाही दी थी. ऐसे में अदालत को कुछ कदम उठाना चाहिए ताकि ऐसे लोग राजनीति से बाहर हो जाएं.
याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दो गई कि और कहा गया कि 34 फीसदी नेता दागी हैं, अगर सरकारी अधिकारी बर्खास्त होता है तो वो वापस नहीं आ सकता है, लेकिन नेता 6 साल की रोक के बाद आ कर चुनाव लड़ सकते है और बॉस बन सकते हैं. ऐसे में इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता.
दरअसल बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर रहा है. अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में मांग की है कि नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ चल रहे मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरा करने के लिये स्पेशल फास्ट कोर्ट बनाई जाए. याचिका में ये भी कहा गया है कि सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए.