गाजियाबाद: योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर में एक बार फिर बड़ी संख्या में मासूमों की मौत हुई है. एक बार फिर BRD हॉस्पिटल में ही 48 घंटे में 42 बच्चों ने दम तोड़ दिया. गोरखपुर में बच्चों की मौत के बीच गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गाजियाबाद के दौरे पर आ रहे हैं. उनके साथ कुल 13 डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है. योगी आदित्यनाथ के दौरे का नतीजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. ऐसे कई मरीज़ों का ऑपरेशन आगे के लिए टाल दिया गया है जिनका ऑपरेशन 31 अगस्त को होना था. सवाल उठता है कि जब गाजियाबाद जिला अस्पताल में सरकारी डॉक्टरों की कमी पहले से ही है तो मुख्यमंत्री के साथ 13 डॉक्टरों की ड्यूटी क्यों लगाई गई ?
बता दें कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़ते ही एक बार फिर खलबली मच गई. हॉस्पिटल के नए प्रिंसिपल ने इस बात से इनकार किया कि ज्यादातर बच्चों की मौत इन्सेफेलाइटिस की वजह से हो रही है. उनके मुताबिक बच्चों की मौत अलग-अलग वजहों से हो रही है. इस मौसम में फैले संक्रमण भी इसके लिए ज़िम्मेदार हैं. मौत के आंकड़ों को सामान्य बताने के लिए उन्होंने ये दावा भी किया कि हॉस्पिटल में हर दिन 340 से 350 बच्चों को एडमिड कर उनका इलाज किया जा रहा है. गोरखपुर के BRD हॉस्पिटल में इस वक्त हालात ऐसे हैं कि एक बेड पर दो से तीन बच्चों का इलाज किया जा रहा है. इसी BRD मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में 10 और 11 अगस्त के बीच की रात को आक्सीजन की कमी के कारण 40 बच्चों की मौत हो गई थी.
वहीं इस बार की बात करें तो 27 अगस्त से 29 अगस्त के बीच कुल 63 बच्चों की मौत हुई है. 27 अगस्त को बावन नए मरीज भर्ती किए गए थे. इनमें से 17 की मौत हो गई. 28 अगस्त को 60 नए बच्चों को भर्ती किया गया. इनमें से 25 की मौत हो गई. अगले दिन 72 नए मरीजों को भर्ती कराया गया, जिनमें से 21 की मौत हो गई. पिछले मामले की बात करें तो कुल नौ लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. गोरखपुर के डीएम ने अपनी जांच में इन्हें जिम्मेदार माना था. सस्पेंड किए गए प्रिंसिपल डॉ राजीव मिश्र और उनकी पत्नी डॉ पूर्णिमा शुक्ला को गिरफ्तार किया जा चुका है. इन पर ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी को समय पर पैसा न देने और कमीशनखोरी के आरोप हैं.
इनसेफेलाइटिस वार्ड के प्रभारी, डॉ.कफील खान ने लिक्विड ऑक्सीजन की कमी की जानकारी होते हुए भी वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं बताया था. डॉ कफील अपनी पत्नी के नर्सिंग होम में अपने नाम का बोर्ड लगाकर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहा था. एनिस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष डॉ सतीश का भी अता-पता नहीं है. डॉ सतीश ने घटना के अगले दिन बिना इजाजत गोरखपुर छोड़ दिया था. वहीं पुष्पा सेल्स के संचालक मनीष भंडारी को ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने के लिए नामजद किया गया है. इनके अलावा चार आरोपियों में से एक अस्पताल का फार्मासिस्ट है और तीन अकाउंट ब्रांच के हैं.