नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने नोटबंदी से जुड़े आंकड़े देते हुए बताया कि 1000 रुपए के कुल 632.6 करोड़ नोट मार्केट में थे जिनमें नोटबंदी के बाद 8.9 करोड़ नोट को छोड़कर बाकी सारे नोट लोगों ने बैंक में जमा करा दिए. इन आंकड़ों के बाद विपक्ष ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए सवाल किया कि नोटबंदी का उद्देश्य काले धन को सफेद करने की योजना थी या फिर कुछ और.
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी के कारण देश के बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. उन्होंने कहा कि आरबीआई को शर्म आनी चाहिए कि उन्होंने नोटबंदी का समर्थन किया. चिदंबरम के अनुसार आरबीआई ने कहा था कि कुल 15444,000 करोड़ रुपए के 500 और 1000 रुपए में से 160000 करोड़ वापस नहीं लौटे, जो की लगभग एक फीसदी के बराबर है.
चिदंबरम ने आगे कहा कि नोटबंदी का समर्थन करने वाले अर्थशास्त्री को नॉबेल प्राइज मिलना चाहिए. देश को केवल एक फैसले की वजह से आर्थिक नुकसान हुआ और यह नुकसान देश को लंबे अंतर तक उठाता रहेगा. नोटबंदी के फैसले पर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए पूर्व वित्त मंत्री ने दावा किया कि यह कदम जाली मुद्रा, भ्रष्टाचार और काला बाजारी जैसे लक्ष्यों को पूरा करने में सक्ष्म नहीं था जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा.
बता दें कि आरबीआई ने अपनी 2016-17 की रिपोर्ट में बताया है कि 1000 रुपए के कुल 632.6 करोड़ नोट मार्केट में थे जिनमें नोटबंदी के बाद 8.9 करोड़ नोट को छोड़कर बाकी सारे नोट लोगों ने बैंक में जमा करा दिए. आरबीआई के इस हिसाब और सरकार के बड़े मकसद को मिलाकर बात करें तो देश में 1000 रुपए की शक्ल में मात्र 8.9 हजार करोड़ रुपया ही काला धन था. अब क्या ये माना जाए कि नोटबंदी फेल हो गया क्योंकि मार्केट से करीब 99 परसेंट 1000 रुपए के नोट वापस बैंक में आ गए या ये माना जाए कि जाली नोट, काला धन और नक्सलियों-आतंकियों की फंडिंग में इस्तेमाल होने वाला 1000 रुपए का नोट सफेद ही था जिसे लोगों ने बैंक में वापस जमा करा दिया. 500 रुपए के बैन नोट को लेकर इस तरह का स्पष्ट आंकड़ा नहीं आया है.
सरकार ने 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट को बंद करते हुए 500 रुपए का नया नोट जारी किया था जबकि 1000 रुपए की जगह पर 2000 रुपए का नया नोट लाया गया था. आरबीआई ने इस रिपोर्ट में ये भी बताया है कि 31 मार्च, 2017 को मार्केट में पुराने और नए दोनों 500 रुपए के नोट 588.2 करोड़ की संख्या में मौजूद थे. 31 मार्च, 2016 को 500 रुपए के 1570.7 करोड़ नोट मार्केट में थे. आरबीआई ने इस रिपोर्ट में ये बताया है कि बैन किए नोट का वैल्यू करीब 15.5 लाख करोड़ था जिसमें 15.4 लाख करोड़ रुपए वापस बैंकों में लौट आए. इसका सीधा मतलब ये हुआ कि या तो देश में काला धन कम है या काला धन लोगों ने 500 और 1000 रुपए की नोट में नहीं जमा रखा था.