चंडीगढ़ : राम रहीम को सीबीआई कोर्ट ने 20 साल की सजा सुनाने के बाद आज एक और बाबा के खिलाफ कोर्ट फैसला सुनाने वाला है. ये फैसला हरियाणा के संत रामपाल के खिलाफ सुनाया जाना है. इसके मद्देनजर हिसार में धारा 144 लागू कर दी गई है. संत रामपाल पर सरकारी काम में बाधा डालने, हत्या, देशद्रोह और आश्रम में जबरन लोगों को बंधन बनाने का आरोप है.
रामपाल इस वक्त देशद्रोही के केस में हिसार जेल में बंद हैं. 18 नवंबर 2014 को सतलोक आश्रम के प्रमुख रामपाल और अन्य लोगों के खिलाफ सरकारी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने और रास्ता रोककर बंधक बनाने के ये दो मामले हैं, जिनमें फैसला आना है. एक मुकदमे में रामपाल समेत पांच अन्य लोग और दूसरे मुकदमे में रामपाल समेत छह अन्य लोग आरोपी हैं. इन मुकदमों की सुनवाई हिसार की सेंट्रल जेल वन में बनाई गई स्पेशल कोर्ट में चल रही है.
दरअसल- रामपाल की हिसार कोर्ट में पेशी के दौरान भारी तादाद में रामपाल के समर्थक पहुंच जाते थे, जिससे पुलिस को कानून व्यवस्था बनाए रखने और इन लोगों को काबू करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती थी. इसी वजह से हिसार की सेंट्रल जेल में ही एक स्पेशल कोर्ट बनाकर इन मामलों की सुनवाई चल रही है. ये सिर्फ दो ही मामले हैं, जिनका फैसला गुरुवार को आना था. इसके बावजूद रामपाल पर देशद्रोह जैसे कई और मुकदमे भी दर्ज हैं, जिन पर सुनवाई चल रही है.
जेएमआईसी मुकेश कुमार की कोर्ट ने रामपाल और उनके साथियों पर दर्ज सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने और आश्रम के अंदर महिलाओं को बंधक बनाए जाने के मामले में बहस पूरी कर ली है. इन दोनों मामलों में गुरुवार को फैसला सुनाया जाना था, लेकिन हिसार की एसपी मनीषा चौधरी ने कोर्ट में एक आवेदन देकर कहा कि पुलिस फोर्स डेरा प्रमुख मामले को लेकर सुरक्षा बंदोबस्त में लगी हुई है, इसलिए रामपाल मामले में फैसला कुछ दिन के लिए टाल दिया जाए ताकि कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में किसी तरह की दिक्कत न हो. जज मुकेश कुमार ने इस आग्रह को मंजूर करते हुए अगली तारीख 29 अगस्त तय कर दी.
सतलोक आश्रम बरवाला मामले में रामपाल के खिलाफ आधा दर्जन केस दर्ज हैं. रामपाल हिसार की सेंट्रल जेल-2 में बंद हैं. रामपाल और उनके समर्थकों के खिलाफ दर्ज केसों की सुनवाई के लिए सेंट्रल जेल-1 में स्पेशल कोर्ट स्थापित है. रामपाल और उनके समर्थकों के खिलाफ फैसला आने की संभावना के चलते उनके समर्थक हिसार पहुंचे थे, मगर पुलिस ने इनको बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से ही वापस लौटा दिया.
सोनीपत के गोहाना तहसील के धनाना गांव में रामपाल दास का जन्म हुआ था. पढ़ाई के बाद रामपाल को हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की नौकरी मिल गई. नौकरी के दौरान रामपाल की मुलाकात 107 साल के कबीरपंथी संत स्वामी रामदेवानंद महाराज से हुई. रामपाल उनके शिष्य बन गए. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 21 मई 1995 को संत रामपाल ने 18 साल की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और सतसंग करने लगे. संत रामपाल के अनुयायियों की संख्या बढ़ती चली गई. कमला देवी नाम की एक महिला ने करोंथा गांव में बाबा रामपाल दास महाराज को आश्रम के लिए जमीन दे दी. 1999 में बंदी छोड़ ट्रस्ट की मदद से रामपाल महाराज ने सतलोक आश्रम की नींव रखी.
ये भी पढ़ें- राम रहीम के डेरा से क्या अब भी किसी बड़ी साज़िश को अंज़ाम देने की कोशिश हो सकती है ?