ये बहादुर इंसान न होता तो आज रेप केस दोषी बाबा राम रहीम जेल के अंदर न होते

नई दिल्ली: साध्वी से बलात्कार करने वाले शैतान बाबा राम रहीम को क्या सजा मिलेगी इसका ऐलान अदालत सोमवार को करेगी. बलात्कार से लेकर हत्या तक और अपहरण से लेकर लोगों को डराने धमकाने तक बाबा राम रहीम के गुनाहों की फेहरिस्त बहुत लंबी है. साध्वी के यौन शोषण मामले में सीबीआई कोर्ट से गुनहगार ठहराए जाने के बाद अब बाबा राम रहीम के तमाम जुर्म एक-एक कर सामने आने लगे हैं.
लाखों लोगों को अपने जाल में फंसाकर भरमाने वाले बाबा के काले कारनामों की कलई खुलनी शुरू हो गई है. रंजीत सिंह बाबा के सबसे बड़ा भक्त था पर जब उसने बाबा के बुरे कर्मों के खिलाफ आवाज उठाई तो उसे हमेशा हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया.
रंजीत सिंह पर साध्वी की गुमनाम चिट्ठी बंटवाने का आरोप बाबा ने लगाया था. जिस चिट्ठी के आधार पर बाबा इस वक्त जेल में है. रणजीत सिंह कुरुक्षेत्र के खानपुर कौलिया का रहने वाला था. रणजीत डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति का सदस्य था. 20 साल तक डेरा सच्चा सौदा के सिरसा आश्रम में रहा था. 10 जुलाई 2002 को रणजीत की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
बाबा पर आरोप हैं कि बाबा ने अपने गुंडों के जरिए रंजीत सिंह की हत्या करवा दी. सीबीआई की चार्जशीट में बताया गया है कि 15 जून 2016 को यानी हत्या से तकरीबन एक महीने पहले रंजीत सिंह ने अपने नाम से 5 लाख की LIC पॉलिसी शुरु की थी. सीबीआई की चार्जशीट में कहा गया कि उसे अपनी जान को खतरा था इसलिए उसने LIC पॉलिसी शुरु की.
एक वक्त था जब रंजीत सिंह बाबा राम रहीम का बेहद करीबी हुआ करता था. वो 20 साल तक तक बाबा के डेरे का खास सेवादार रहा. जब उसने डेरा छोड़ा था तो उसे डेरा प्रबंधक इंदर सेन ने चिट्टी बंटवाने पर बाबा से माफी मांगने के लिए कहा था. चार्जशीट के मुताबिक धमकी के बाद रंजीत सिंह ने अपने पिता से बताया था कि उसने माफी मांगने से साफ मना कर दिया क्योंकि वो गुमनाम चिट्ठी उसने बंटवाई ही नहीं थी.
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक 26 जून 2002 को जसबीर सिंह और सब्दील सिंह जो कि बाबा के गुरमीत के बंदूकधारी थे वो रंजीत सिंह के घर आए. रंजीत सिंह से कहा कि बाबा गुमनाम चिट्ठी को लेकर बेहद नाराज हैं. वो चिट्ठी तुमने ही बंटवाए हैं. 6 जुलाई 2002 को जसबीर सिंह और सब्दील सिंह दोबारा रंजीत सिंह के घर आए. साफ-साफ कहा बाबा से माफी मांगो नहीं तो गुरमीत सिंह की तरफ से उसे मारने का आदेश है.
सीबीआई की चार्जशीट में साफ-साफ लिखा है कि 10 जुलाई 2002 को जसबीर सिंह, सब्दील सिंह और डेरा प्रबंधक कृष्णा लाल ने रंजीत को मार डाला. मई 2002 में पीड़िता की गुमनाम चिट्ठी आई थी और दो महीने बाद 10 जुलाई 2002 को रंजीत सिंह की हत्या कर दी गई. बाबा पर रंजीत सिंह की हत्या का आरोप है और ये केस अदालत में चल रहा है. जिसका फैसला भी जल्द आने वाला है.
सीबीआई ने रंजीत सिंह के पिता जोगिंदर सिंह से भी बात की थी. चार्जशीट में साफ-साफ लिखा है कि जोगिंदर सिंह ने बेटे रंजीत सिंह से गुमनाम चिट्ठी के बारे में उससे पूछा था तो रंजीत सिंह ने पिता से कहा था चिट्ठी किसने लिखी नहीं पता लेकिन चिट्टी में जो बातें पीड़िता ने लिखी हैं वो सौ फीसदी सच हैं.
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