नई दिल्ली: साध्वी रेप केस में दोषी करार दिए जा चुके डेरा प्रमुख राम रहीम को सोमवार को सजा सुनाई जाएगी. लेकिन उनका बुरा वक्त अभी तो बस शुरू हुआ है क्योंकि सितंबर में उनके खिलाफ डेरा मैनेजर रणजीत सिंह हत्याकांड का फैसला भी आना है. आगे फिर पत्रकार हत्याकांड का फैसला भी आएगा. ये तीनों केस एक-दूसरे से जुड़े हैं लेकिन इनका ट्रायल एक ही सीबीआई कोर्ट में अलग-अलग मुकदमे के रूप में चल रहा है. इसके अलावा राम रहीम पर जयपुर की औरत को गायब करने का भी है आरोप है. इस मामले में भी 7 सितंबर को सुनवाई होनी है
राम रहीम पर यौन शोषण के अलावा मर्डर, लोगों को नपुंसक बनाने और महिला को अगवा करने का भी केस दर्ज है. इंडिया न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ दीपक चौरसिया ने दो साल पहले गुरमीत राम रहीम से जब पत्रकार के मर्डर को पर सवाल पूछा तो उन्होंने इसे अपने खिलाफ साजिश करार दिया. उन्होंने कहा था कि ड्रग माफिया के खिलाफ उनकी मुहिम की वजह से उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.
डेरा के मैनेजर रणजीत सिंह की हत्या का आरोप जिसकी बहन डेरा में साध्वी थी
बाबा पर पहला मर्डर केस है अपने ही डेरे के पूर्व मैनेजर और कुरुक्षेत्र के खानपुर गांव के रहने वाले रणजीत सिंह की हत्या का. रणजीत हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट का फैसला 16 सितंबर को आने वाला है. साध्वी रेप केस में बाबा के दोषी साबित होने के बाद रणजीत के परिवार की न्याय की आस भी जग गई है.
राम रहीम के डेरे के मैनेजर रणजीत सिंह की हत्या 10 जुलाई, 2002 को दिनदहाड़े गोली मारकर की गई थी. कहा जाता है कि राम रहीम को ये शक हो गया था कि प्रधानमंत्री और तमाम कोर्ट को यौन शोषण वाला खत जाने में उसका हाथ है. ये भी कहा जाता है कि बाबा की सेवा में लगी साध्वियों में उनकी बहन भी शामिल थी. शायद यही वजह थी कि राम रहीम को मामला मीडिया में आने के बाद रणजीत पर शक हुआ.
रणजीत सिंह हत्याकांड की भी जांच सीबीआई ने की और इस मामले में कोर्ट में न्यायिक प्रक्रिया फैसले के करीब पहुंच चुकी है. सूत्रों का कहना है कि 16 सितंबर को इस केस का फैसला आ सकता है. ये सीबीआई कोर्ट भी जगदीप सिंह की अदालत है जिन्होंने साध्वी रेप केस में राम रहीम को दोषी ठहराया है.
यौन शोषण का ‘पूरा सच’ छापने वाले पत्रकार की हत्या का केस
दरअसल सिरसा के जिस पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या का आरोप राम रहीम पर लगा है, उस दिलेर पत्रकार ने अपने अखबार ‘पूरा सच’ के जरिए डेरे में युवतियों के साथ हो रहे यौन शोषण का खुलासा 30 मई, 2002 को किया था. उसके बाद लगातार वो इस खबर पर नई जानकारियां सामने लाते रहे.
पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को जान से मारने की धमकियां दी जाने लगीं और 24 अक्टूबर, 2002 को छत्रपति को उन्हीं के घर के बाहर गोली मार दी गई. बाद में दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रामचंद्र छत्रपति का इलाज के दौरान 28 दिन बाद निधन हो गया.
राम रहीम के खिलाफ रामचंद्र छत्रपति के मर्डर का भी केस भी पंचकुला की उसी सीबीआई कोर्ट में चल रहा है जिसने साध्वी रेप केस में उन्हें दोषी करार दिया है. पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल के मुताबिक उनके पिता के बयान के बावजूद पुलिस ने डेरा प्रमुख का नाम एफआईआर में नहीं डाला था.
हत्या के बाद प्रदेश के पत्रकारों ने सरकार से इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी लेकिन हरियाणा की तत्कालीन ओम प्रकाश चौटाला सरकार ने मांग नहीं मानी. बाद में बेटे की अपील पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया और राम रहीम व उनके करीबियों को आरोपी बनाया गया.