आगरा: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने गुरुवार को स्थानीय कोर्ट में ताजमहल मामले में अपना जवाब दाखिल कर दिया है. जवाब में कहा गया है कि ताजमहल मंदिर नहीं है बल्कि मुगल बादशाह द्वारा अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया गया मकबरा है. साथ ही वर्ल्ड हेरिटेज साइट ने ये मानने से मना कर दिया है कि ताजमहल पहले भगवान शिव का मंदिर था.
ASI ने ताजमहल को संरक्षित रखने से जुड़े 1920 के एक नोटिफिकेशन के आधार पर कोर्ट में हलफनामा पेश किया. अपने जवाब में विभाग ने ये भी कहा कि कोर्ट का आदेश है कि ताजमहल के संबंध में किसी भी मामले की सुनवाई स्थानीय कोर्ट में नहीं की जा सकती है.
बता दें कि स्थानीय कोर्ट में इस मामले में याचिका 8 अप्रैल 2015 में लखनऊ के गोमती नगर निवासी वकिल हरीशंकर जैन और उनके पांच साथियों ने याचिका दायर की थी. उनका दावा है कि यह इमारत ताजमहल नहीं बल्कि शिव मंदिर है. इसका नाम तेजोमहालय है. इस याचिका के जरिए हिंदू दर्शानार्थियों को परिसर के अंदर पूजा की इजजात देने की मांग की गई थी.
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने इससे पहले नवंबर 2015 में लोकसभा में साफ कर दिया था कि ताजमहल की जगह पर मंदिर होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं. इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, एएसआई और गृह सचिव से जवाब तलब किया था.