मोदी को नीतीश का खुला खत, ‘मैं बिहार का बेटा, मेरे DNA में बिहार’

पटना. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा है. इस पत्र में नीतीश कुमार ने पीएम मोदी द्वारा हाल ही में बिहार के मुजफ्फरपुर में आयोजित एक चुनावी रैली में उनके ‘DNA’ पर की गई टिप्पणी पर कड़ा एतराज़ जताया है. नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जो जवाबी चिट्ठी लिखी उसे आज ट्विटर पर शेयर किया है. 

नीतीश का पूरा पत्र

आदरणीय मोदी जी, 

कुछ दिनों पहले बिहार में जनसभा को संबोधित करते हुए आपने मेरे डीएनए पर जो टिप्पणी की, उससे मुझे और समाज के एक बड़े तबके को गहरी ठेस पहुंची है. मेरा मानना है कि आपने इन शब्दों से न सिर्फ बिहार बल्कि बिहार से बाहर रहने वाले लोगों ने भी खुद को अपमानित महसूस किया है. आप कुछ दिनों में फिर बिहार आने वाले हैं. मैं आपको उन सभी लोगों की ओर से यह पत्र लिख रहा हूं जो आपकी इस टिप्पणी से आहत हुए हैं. यह आम विचार है कि आपके द्वारा की गई यह टिप्पणी आपके पद के गरिमा के अनुरूप नहीं है.

लेकिन, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि हम लोगों पर इस तरह की टिप्पणी की गई हो. इसके पहले भी आपके साथी और बीजेपी नेता श्री नितिन गडकरी ने कहा था कि जातिवाद बिहार के डीएनए में हैं. मोदी, यह एक विडम्बना ही है कि पिछले ही साल इन्हीं बिहारवासियों ने आप पर विश्वास करते हुए आपकी अगुवाई में बहुमत की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण योगदान किया था. यह वही राज्य है जहां मानव सभ्यता फली-फूली. इस धरती ने इतिहास के अनेक महान विभूतियों को जन्म दिया है. मेरा मानना है कि इस तरह के वक्तव्यों से जनता के मन में आपके नेतृत्व के प्रति विश्वास में कमी आई है.

मैं बिहार का बेटा हूं. इस लिहाज से मेरा और बिहार के लोगों की डीएनए एक जैसा ही है. मोदी जी, आप जानते हैं कि मेरे पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे और मां एक सामान्य गृहिणी, मैं बिहार के ग्रामीण परिवेश के एक साधारण परिवार में पला-बढ़ा हूं. चालीस सालों से राजनैतिक जीवन में मैंने गांधी, लोहिया, जेपी के आदर्शों पर चलने का प्रयत्न किया है और अपनी क्षमता के अनुसार जनता के हित के लिए काम किया है. हमारा यह मानना है कि आपके बयान ने मेरे वंश पर सवाल तो उठाया ही है, साथ ही, बिहार की विरासत और बिहारी अस्मिता को भी ठेस पहुंचाई है. इस तरह के बयान इस धारणा को भी बल देते हैं कि आप और आपकी पार्टी हम बिहारवासियों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं. मुझे आश्चर्य होता है कि आपके सचेत विवेक ने इन बयानों की गंभीरता को कैसे नहीं समझा ?

अत: इस पत्र के माध्यम से मेरा आपसे अनुरोध है कि आप अपने शब्दों को वापस लेने पर विचार करें. मुझे पूरा विश्वास है कि ऐसा करने से लोगों की आहत भावना को राहत मिलेगी. जिससे आपकी प्रति न सिर्फ उनका सम्मान बढ़ेगा, बल्कि उनकी नजरों में आपका कद और भी ऊंचा हो जाएगा.

आपका

नीतीश कुमार

आपको बता दें कि पीएम मोदी ने पिछले महीने बिहार में हुए एक चुनावी रैली में कहा था कि,  ‘नीतीश ने न सिर्फ़ मेरा बल्कि जीतन राम मांझी जैसे महादलित का भी अपमान किया है….ऐसा लगता है कि उनके ‘डीएनए’ में कुछ गड़बड़ है क्योंकि लोकतंत्र का डीएनएन इससे अलग होता है. लोकतंत्र में आप अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदियों को भी इज्ज़त देते हैं.’   

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