नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाइवे से 500 मीटर के दायरे में शराब की बिक्री पर पाबंदी को स्पष्ट करते हुए कहा है कि शहर के अंदर ये आदेश लागू नहीं होगा अगर सरकार उस सड़क का दर्जा बदल देती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईवे के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों पर पाबंदी के आदेश का असर शहर की सड़कों पर नहीं पड़ेगा. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अगर कोई हाईवे शहर के बीच से होकर गुजरता हो और उसका पुनर्वर्गीकरण किया जाता है तो इसमें कुछ गलत नहीं है.
कोर्ट ने अपने 11 जुलाई के आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा कि शहर से होकर गुजरने वाली सड़क यानी नगर निगम या नगरपालिका के तहत आने वाली सड़कों को डिनोटिफाई किया जाता है तो उस शहर की सीमा में हाईवे के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों पर पांबदी का आदेश प्रभावी नहीं होगा. यानी निगम या नगरपालिका के तहत आने वाली सड़कों पर बार, पब और शराब दुकानों पर पाबंदी नहीं होगी. 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि हाईवे के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों पर पाबंदी के आदेश को धता बताने के लिए चंडीगढ़ की सड़कों को डीनोटिफाई किया गया है.
16 मार्च को केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ ने एक अधिसूचना जारी कर शहर के भीतर से होकर गुजरने वाली 12 हाईवे के विस्तार को डिनोटिफाई कर दिया था. इन सड़कों को ‘मुख्य जिला सड़क’ का दर्जा दिया गया था. इस निर्णय से इन सड़कों के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानें, पब और बार अदालती आदेश के दायरे से बाहर आ गए थे. इस अधिसूचना को अराइव सेफ इंडिया एनजीओ ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन वहां से राहत न मिलने के बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.