मुंबई: ध्वनि प्रदूषण पर हाई कोर्ट और सरकार अब आमने सामने आ गई है. अब सरकार ने अब न्यायाधीश अभय ओक पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है. इतना ही नहीं इसे लेकर सरकार ने उनकी शिकायत मुख्य न्यायाधीश से भी की है.
सरकार ने मुख्य न्यायधीश को लिखित पत्र में कहा कि अभय ओक को सरकारी तंत्र पर भरोसा नहीं है और वह पक्षपात कर रहे हैं. जिसके बाद हाई कोर्ट के जज अभय ओक और सरकार आमने-सामने आ गए हैं.
क्या है मामला ?
दरअसल, नॉइज़ पॉल्युशन को लेकर हाई कोर्ट ने 2016 में एक आदेश पारित किया था , जिस आदेश में यह कहा गया था की साइलनेट जोन में लाउड सीपकर बजाने की पूरी मनाही है. साइलनेट जोन के अलावा अन्य जगहों पर 50 डेसिबल से ज्यादा आवाज में लाउडस्पीकर नही बजा सकते. इसके लिए भी नजदीकी पुलिस स्टेशन से अनुमति लेनी होगी.
इसके अलावा अगर फिर भी कोई इन नियमो का उलंघन करता है तो पुलिस को उसके ऊपर करवाई करने का अधिकार होगा. कोर्ट के आदेश के मुताबिक स्कूल, हास्पिटल, धर्मिक स्थल के 100 मीटर के दायरे में लाउड सीपकर नही बजाया जाना चाहिए.
वहीं गणपति उत्सव के ठीक पहले सरकार ने नोटिफिकेशन निकाल कर सारे साइलनेट ज़ोन को रद्द कर दिया और इसकी जानकारी कोर्ट को दे दी. जिस पर कोर्ट ने कहा की सरकार इतनी खुश ना हो, उत्सव के दौरान हमारा ही आदेश लागू रहेगा. इसके खिलाफ सरकार ने आज चीफ जस्टिक से न्याधीश अभय ओक के खिलाफ शिकायत की , सरकार ने ओक पर पक्षपात का आरोप लगाया है.