नई दिल्ली. एयर इंडिया के सीएमडी अश्वनी लोहानी को रेलवे बोर्ड का चेयरमैन बनाए जाने पर विवादों खड़ा होता दिख रहा है. इस बात को लेकर अब रेल मंत्रालय में दबी जुबान में चर्चा होने लगी है. ऐसी चर्चा है कि रेलवे बोर्ड के पांच सीनियर मेम्बर को दरकिनार कर लोहानी को चेयरमैन बनाया गया है.
रेलवे बोर्ड के चैयरमेन यानी CRB के पद के लिए कैंडिडेट को जीएम के पद पर काम करना जरूरी होता है. जीएम के पद पर ज्वाइन करते समय नौकरी का कम से कम दो साल बचा होना चाहिए. फिर जगह होने पर रेलवे बोर्ड मेम्बर बनाया जाता है तब वरिष्ठता के आधार पर बोर्ड मेम्बर को ही सीआरबी बनाया जाता है.
लोहानी के नाम पर विवाद की असल वजह ये है कि वे कभी जीएम नहीं रहे और न ही कभी ओपन लाइन में काम किया है. इन्होंने पूरे करियर में रेलवे में टोटल 4 साल ही काम किया है.
हालांकि, इससे पहले भी वरीयता के क्रम को तोड़ा गया है. नीतीश कुमार ने ये क्रम तोड़ते हुए आर के सिंह को जीएम पद से सीधे सीआरबी बना दिया था. मगर जहां तक लोहानी की बात है तो उन्होंने कभी रेलवे में जीएम के पद पर भी काम नहीं किया.
लोहानी को डीआरएम पद से सीधे मध्य प्रदेश टूरिज्म में डीपुटेशन पर भेजा गया और फिर उसके बाद एयर इंडिया में सीएमडी बना दिया गया. यही वजह है कि दबी जुबानं में ये चर्चा तेज है कि लोहानी को पांच सीनियर मेंम्बर को दरकिनार कर रेलवे का चेयरमैन बनाया गया है.
रेलवे के चेयरमैन पद के की लाइन में मेंबर रॉलिंग स्टॉक रविंदर गुप्ता, मेंबर ट्रैफिक मोहम्द जमशेद ,मेंबर ट्रैक्शन घनश्याम सिंह समेत कई लोग हैं. हालांकि, इनमें से सबसे प्रबल दावेदार मेम्बर ट्रैफिक मोहम्मद जमशेद थे.
डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग की गाइडलाइन्स के मुताबिक, सीआरबी यानी कि रेलवे के चेयरमैन पद के लिए ओपन लाइन ( जो रेलवे ट्रेन चलाती हो, न की लोको फैक्ट्री आदि के जीएम) में एक साल काम करना अनिवार्य होता है. बता दें कि रेलवे के चेयरमैन की नियुक्ति कैबिनेट कमेटी ऑफ अपॉइंटमेंट करती है, जिसके चैयरमेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.
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लोहानी भले ही रेलवे के सबसे सीनियर ऑफिसर हैं, मगर गाइडलाइन के हिसाब से देखा जाए तो सीआरबी के पद के लिए जो अनुभव चाहिए वो लोहानी के पास नहीं है. रेलवे में चार साल रहने के बाद भी लोहानी ज्यादातर डेपुटेशन पर बाहर ही रहे.
बता दें कि अश्वनी लोहानी के नाम इंजीनियरिंग में चार डिग्री रखने का लिम्का रिकॉर्ड भी है. उनके पास मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रोनिक्स एंड टेलीकम्यूनि इंजीनियरिंग की भी डिग्री है.
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