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पाकिस्तान-बांग्लादेश समेत इन 19 देशों में बैन है तीन तलाक

मंगलवार को तीन तलाक के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए इसे अवैध घोषित कर दिया. सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की पीठ में बहुमत से फैसला हुआ. ये फैसला सुनाते हुए जजों ने विदेश के कानूनों का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान, मिस्र, बांग्लादेश समेत 19 देशों में तीन तलाक अवैध है.

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  • August 23, 2017 3:49 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. मंगलवार को तीन तलाक के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए इसे अवैध घोषित कर दिया. सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की पीठ में बहुमत से फैसला हुआ. ये फैसला सुनाते हुए जजों ने विदेश के कानूनों का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान, मिस्र, बांग्लादेश समेत 19 देशों में तीन तलाक अवैध है.
 
सुप्रीम कोर्ट में हुए इस ऐतिहासिक फैसले में पैनल ने ताहिर महमूद और सैफ महमूद की किताब मुस्लिम लॉ इन इंडिया का जिक्र किया. पैनल ने बताया कि अरब के देशों में तीन तलाक को समाप्त कर दिया गया है. इस कानून को अल्जीरिया, मिस्र, इराक, जॉर्डन, कुवैत, लेबनान, लीबिया, मोरक्को, सूडान, सीरिया, ट्यूनीशिया, संयुक्त अरब अमीरात और यमन ने खत्म कर दिया है, जिनमें इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देश भी शामिल हैं. भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में भी इस कानून की कोई जगह नहीं है. 
 
 
 
बता दें कि अल्जीरिया के कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति तलाक के लिए कम से कम तीन महीने तक सुलह की कोशिश करता है. अगर तलाक उससे पहले लेना हो तो इसके लिए उसे अल्जीरिया कोर्ट की मदद लेनी होगी. अन्यथा तलाक तीन महीनें से पहले नहीं हो सकता है.
 
 
इसी प्रकार मिस्र जो कि एक धर्मनिरपेक्ष देश है वहां पर भी तीन तलाक को लेकर कड़े कानून हैं. मिस्र के कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति नशे में या किसी के प्रभाव में आकर तुरंत तलाक नहीं दे सकता है. मिस्र  में तुरंत तलाक यदि देता है तो वो मान्य नहीं है.
 
 
 
सयुंक्त अरब अमीरात के कानून के अनुसार यदि कोई पति अपनी पत्नी से तलाक की पूरी कार्यवाही किये बिना दूसरी शादी कर लेता है तो उसे अपनी पत्नी को इद्दत के तौर पर गुजारा भत्ता देना होता है. 
 
 
इसी प्रकार पाकिस्तान और बांग्लादेश के कानून के अनुसार यदि कोई भी पति अपनी पत्नी को तलाक देना चाहता है तो उसे पहले पत्नी पत्नी को लिखित में देना होगा और अगर वो ऐसा नहीं करता है तो उसे 1 साल की सजा और जुर्माना भरना पड़ सकता है. इतना ही नहीं 30 दिनों के भीतर सुलह के लिए कमेटी के गठन का कानून भी मौजूद है. जो पति-पत्नी में सुलह करवाएगा. पाक-बाग्लादेश के कानून में पति-पत्नी के तलाक की कार्यवाई के दौरान यदि पत्नी गर्भवती हो जाती है तो पति संविधान में दी गई समय सीमा से पहले पत्नी से अलग नहीं हो सकता है.
 

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