नई दिल्ली. अब पासपोर्ट बनवाना और भी आसान होने वाला है. पासपोर्ट पाने के लिए पुलिस द्वारा फिजिकल सत्यापन जल्द ही पुराने जमाने की बात होगी क्योंकि मोदी सरकार इस सेवा को अपराधों और अपराधियों के राष्ट्रीय ब्यौरे से जोड़ने की योजना बना रही है.
अब पासपोर्ट बनवाने के लिए फिजिकल पुलिस वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं होगी क्योंकि सरकार जिस ब्यौरों से जोड़ने की बात कर रही है उससे कम्प्यूटर के माउस के एक क्लिक पर आवेदकों की पृष्ठभूमि की जानकारी मिल सकेगी.
दरअसल, केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि ने कहा कि उम्मीद है कि क्राइम और क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम्स प्रोजेक्ट (CCTNS) को विदेश मंत्रालय की पासपेार्ट सेवा के साथ जोड़ा जाएगा और इस काम को एक साल के भीतर पासपोर्ट आवेदकों का आनलाइन सत्यापन पुलिस द्वारा खुद जाकर सत्यापन करने की व्यवस्था को बदल देगा.
उन्होंने कहा, कुछ राज्यों में पहले से ही पासपोर्ट क्रेडेंशियल के लिए पुलिस CCTNS का इस्तेमाल कर रही है. अप्लाई करने वाले शख्स के बारे में पूरी जानकारी अब उपलब्ध रहेगी जहां से पुलिस उसके बारे में आसानी से जान सकेगी. इससे समय की बचत होगी और पुलिस से कॉन्टैक्ट को कम करेगा.
बता दें कि महर्षि ने ये बातें ऐसे समय कहीं जब गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज सीसीटीएनएस परियोजना के तहत एक डिजिटल पुलिस पोर्टल शुरु किया जिसका उद्देश्य अपराधों और अपराधियों का राष्ट्रीय ब्यौरा तैयार करना है. जिसके तहत देश के 15398 पुलिस स्टेशन को जोड़ा जाएगा.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पोर्टल लॉन्चिंग के मौके पर कहा कि पुलिस पोर्टल राज्य पुलिस और केन्द्रीय जांच एजेंसियों के लिए राष्ट्रीय ब्यौरे से 11 सर्च और 46 रिपोर्ट उपलब्ध कराएगा. केन्द्रीय जांच एवं अनुसंधान एजेंसियों को अपराध आंकड़ों तक पहुंचने के लिए डिजिटल पुलिस ब्यौरे के लिए लॉग इन भी उपलब्ध कराए हैं.
गृह मंत्री ने कहा कि सीसीटीएनएस ने 15398 थानों में से 13775 को साफ्टवेयर में 100 प्रतिशत डेटा डालने का मौका दया है. उन्होंने कहा कि सीसीटीएनस प्रोजेक्ट पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस को सफल बनाने में मददगार होगा.
उम्मीद जतायी जा रही है कि इस प्रोजेक्ट को मार्च 2018 तक पूरा कर लिया जाएगा.