नई दिल्ली: भारत में शौहर द्वारा तीन बार तलाक कहकर बीवी को तलाक देने की इस्लामिक प्रथा जारी रहेगी या खत्म हो जाएगी, इसका फैसला मंगलवार सुबह 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट कर देगा. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर चुकी है.
इस पीठ में चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अब्दुल नज़ीर शामिल हैं. चीफ जस्टिस खेहर 28 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं. ट्रिपल तलाक मामले पर केंद्र सरकार ने कोर्ट में दलील दी थी कि यह इस्लाम का मौलिक हिस्सा नहीं है.
साथ ही केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर कोर्ट ट्रिपल तलाक को खत्म करने का फैसला करती है, तो सरकार इसके लिए कानून बनाएगी. रोहतगी ने संवैधानिक बेंच से कहा कि तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के मानवाधिकारों के खिलाफ है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट बहुविवाह और हलाला पर भी सुनवाई करेगा. कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कहा था कि इन दोनों मुद्दों को हम लंबित रखते है. पीठ के पास लिमिटेड समय है इसलिए हम केवल तलाक पर सुनवाई करेंगे. लेकिन बाद में दोनों मसलों पर भी सुनवाई होगी.
तीन तलाक के मुद्दे पर सुनवाई के पांचवे दिन कोर्ट ने उलेमा-ए-हिंद से पूछा था कि अगर संस्था और साहित्य कहता है कि तीन तलाक बुरा और पाप है तो आप कैसे कह सकते हैं कि ये धर्म के लिए जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक बेंच इस महत्वपूर्ण मामले पर सुनवाई कर रही थी.
तीन तलाक पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से पूछा कि क्या ‘निकाहनामा’ में महिला को तीन तलाक के लिए ‘ना’ कहने का विकल्प दिया जा सकता है ? बोर्ड ने कहा कि हम इस पर विचार करेंगे. बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान कहा कि तीन तलाक की प्रथा खत्म होने की कगार पर है. इसमें दखल की कोशिश का नकारात्मक असर हो सकता है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ज्यादातर इस्लामिक देश रिफॉम की तरफ बढ़ रहे है लेकिन सेक्युलर देश में ऐसा नहीं हो रहा है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कई मुस्लिम देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि जहां ट्रिपल तलाक पर रोक है. केंद्र सरकार ने कहा की कई मुस्लिम देशों में तलाक के के लिए सिविल कोर्ट है. केंद्र सरकार ने कहा कि पाकिस्तान ने भी इस मामले में रिफार्म किया है.