…तो क्या इस महान ऋषि के श्राप के कारण विलुप्त हो गई थी सरस्वती नदी

नई दिल्ली: ‘अद्भुत भारत’ में आज हम सरस्वती नदी के सच को समझने की कोशिश करेंगे. हिंदुस्तान का आखिरी गांव माणा गांव को कहा जाता है और इसकी पहचान इसलिए भी है क्योंकि यहीं पर सरस्वती नदी का उद्गम होता है. कहते हैं कि सरस्वती नदी अपने उद्गम से कुछ ही दूरी पर विलीन हो जाती हैं और एक सच ये भी है कि वो अलकनंदा नदी में मिल जाती है लेकिन सरस्वती के मार्ग को लेकर जो रहस्य सालों से बना हुआ है. वो आज भी जस का तस है. इलाहाबाद के संगम को भी गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम कहा जाता है लेकिन वहां भी सिर्फ गंगा और यमुना नज़र आती हैं. सरस्वती नदी वहां भी अदृश्य है.
इसे लेकर नासा के वैज्ञानिकों ने रिसर्च की लेकिन नदी का पूरा सच आज तक सामने नहीं आया. वैज्ञानिकों की रिसर्च कहती है कि करीब 2 हजार साल पहले इस इलाके में एक ऐसा भीषण भूकम्प आया. जिसकी वजह से जमीन के नीचे के पहाड़ ऊपर उठ गए. इसी के बाद सरस्वती नदी का पानी पीछे की ओर चला गया लेकिन पौराणिक मान्यताएं इसकी कुछ और वजह बताती हैं. सरस्वती नदी गायब क्यों हुई इसके लेकर एक श्राप की बात कही जाती है. कहते हैं कि सरस्वती नदी को वेद व्यास ने एक श्राप दिया था. उसकी वजह ये थी कि वेद व्यास जब महाभारत की रचना कर रहे थे तो सरस्वती नदी के शोर से उन्हें खलल पड़ रहा था. कहते हैं कि वेद व्यास बोलते जा रहे थे और गणेश जी उसे लिखते जा रहे थे. गणेश जी, जिस जगह पर बैठकर ये काम कर रहे थे, वो आज गणेश गुफा के रूप में मौजूद है.
नेचर वेबसाइट में छपे रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक 6 साल के रिसर्च के बाद बताया गया गया है कि सरस्वती नदी हिमालय से निकली थी और गुजरात के कच्छ के रण में विलुप्त हो गई. नेचर की रिपोर्ट में प्रोफेसर चम्याल और उनकी टीम ने बताया है कि 14 जुलाई 2017 को हम इस मुकाम पर पहुंच गए कि आज से लगभग 10 हजार ईशा पूर्व सरस्वती नदी हिमालय से गुजरात के कच्छ रण तक बहती थी. रिसर्च में बताया है कि रिसर्च करने वाली टीम ने कच्छ के रण में 60 फीट गहरा ड्रील करके नदी के सैंपल इकट्ठा किए थे. निकले हुए सैंपल को Neodymium और स्ट्रोंटियम नामक दो आइसोटोप से जांच के बाद टीम को नदी की उम्र और उसके उद्गम का पता चला. हिमालय और रण के सैंपल एक जैसा पाए गए. इस रिसर्च में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ने भी सहायता की है. संस्थान ने सैटेलाइट पिक्चर की सहायता से यह बताने का प्रयास किया है कि आज से 10 हजार ईशा पूर्व सरस्वती नदी की स्थिति कैसी रही होगी. रिसर्च की टीम ने अपना रिपोर्ट सरकार को भेज दिया है.
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