कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस हादसा: शुरुआती जांच के आधार पर रेलवे ने 8 अधिकारियों पर की कार्रवाई

मुजफ्फरनगर: खतौली हादसे में रेलवे ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई हुई है. GM, DRM समेत 8 अधिकारियों पर गाज गिराई गई है. खतौली हादसे को लेकर रेलवे के चार इंजीनियर्स को निलंबित कर दिया गया है. वहीं एक अधिकारी का तबादला किया गया है. इसके अलावा, नॉर्दन रेलवे के GM, दिल्ली डिवीजन के DRM और रेलवे बोर्ड के इंजीनियरिंग मेंबर को जबरन छुट्टी पर भेजा गया है.
खतौली ट्रेन हादसे की आंतरिक रिपोर्ट में परमानेंट way विभाग को दोषी ठहराया गया है. ये विभाग ट्रेनों की आवाजाही पर नजर रखता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रैक पर मरम्मत का काम चल रहा था. जिसके बाद सुरक्षा नियमों की अनदेखी की गई. खतौली रेल हादसे में मुजफ्फरनगर जीआरपी थाने में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया है. यूपी के मुजफ्फरनगर में कलिंग उत्कल एक्सप्रेस हादसे में 23 लोगों की मौत हुई थी और 203 लोग घायल हुए हैं.
वहीं खतौली रेल हादसे में मुजफ्फरनगर जीआरपी थाने में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया है. रेल हादसे की साइट पर सोमनवार से रेलवे सेफ्टी कमिश्नर शैलेश पाठक और उनकी टीम हादसे की जांच करेगी. रेलवे बोर्ड के सदस्य एम जमशेद ने माना कि ट्रैक पर मरम्मत का काम चल रहा था. उन्होंने रात 10 बजे तक ट्रैक दुरुस्त कर लेने की बात कही.
ट्रेन हादसे में 24 यात्रियों की मौत मामले में गैंगमैन और रेल कर्मी का ऑडियो सामने आया जिसमें ट्रैक पर मरम्मत की बात कही गई. बातचीत से खुलासा हुआ है कि रेल की पटरी कई दिन से टूटी पड़ी थी वेल्डिंग के बदले पटरी में एक टुकड़ा फंसाया गया. टुकड़े को वेल्डिंग करके ट्रैक से जोड़ा नहीं गया था. ब्लॉक भी नहीं मिला था, जबकि ट्रेन आने का टाइम हो गया था.
मौके पर लाल झंडा या बोर्ड नहीं लगाया था. हादसे के बाद गैंगमैन, लोहार और JE कटी पटरी और मरम्मत के औजार छोड़कर भाग गए. इंडिया न्यूज़ को रेलवे की लापरवाही के सबूत मिले. ट्रैक पर मरम्मत के औज़ार बिखरे हुए थे जो साबित करते हैं कि पटरी पर काम चल रहा था.
कुछ दिन पहले भी इस ट्रैक पर मरम्मत का काम चल रहा था. तब एक युवक ने अपनी लाल-टीशर्ट दिखाकर ट्रेन रोकी थी. हादसे की जगह पर पटरी का एक हिस्सा कटा पड़ा है. साथ ही मरम्मत के सामान के साथ जेनसेट भी यहां रखा है. सूत्रों के मुताबिक जिस ट्रैक पर कलिंग उत्कल एक्सप्रेस आ रही थी. उस ट्रैक का एक हिस्सा मरम्मत के लिए काटकर हटाया गया था. ट्रेन आने की टाइमिंग होने के बावजूद यहां न तो कोई चेतावनी दी गई और न ही ट्रैक को ब्लॉक किया गया था.
बताया जा रहा है कि हादसे के वक्त कलिंग उत्कल एक्सप्रेस की रफ्तार 105 किलोमीटर प्रति घंटे थी. अगर वक्त रहते अगर ट्रेन ड्राइवर को चेतावनी सिग्नल मिल गई होती तो शायद ड्राइवर ट्रेन की रफ्तार धीमी कर लेता और हादसा टल सकता था.
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