नई दिल्ली: क्या जेपी इंफ्राटेक के प्रोजेक्ट में आपका भी फ्लैट फंसा है ? अगर ऐसा है तो आपके लिए घर या पैसा वापस पाने का एक अच्छा मौका है. आपको 24 अगस्त तक एक फॉर्म भर कर जमा करना है. ये फॉर्म www.ibbi.gov.in से या फिर www.jaypeeinfratech.com से डाउनलोड किया जा सकता है.इस फॉर्म के साथ कुछ जरूरी दस्तावेज भी जमा करने होंगे. इन दस्तावेजों में दावे के तौर पर बैंक स्टेटमेंट या अलॉटमेंट लेटर में से कोई एक जमा कराना होगा. फॉर्म जमा कराने के बाद घर को लेकर आपका दावा तय किया जाएगा. अगर कंपनी के हालात सुधरे तो आपको आपका घर कंपनी से मिल जाएगा.
अगर ऐसा नहीं हो पाया तो कंपनी की संपत्ति बेचकर बैंक से अपने 8 हजार करोड़ से ज्यादा के कर्ज की भरपाई करेंगे. फिर बाकी बचे पैसे से बंद पड़े प्रोजेक्ट को शुरु कर आपको आपका घर दिया. रास्ता लंबा और मुश्किलों भरा है लेकिन एक उम्मीद जगी है. जेपी का पूरा गड़बड़झाला दस साल से चला आ रहा है. इसका नोएडा विश टाउन का प्रोजेक्ट अधूरा है. कंपनी को 32 हजार फ्लैट बनाकर देना था. इसने साढ़े पांच हजार से ज्यादा फ्लैट हैंडओवर कर दिया लेकिन 26 हजार से ज्यादा फ्लैट बनकर तैयार नहीं हुए हैं. प्रोजेक्ट में 350 टावर हैं जिनमें से 250 अधूरे हैं. कंपनी पर बैंकों का 8 हजार करोड़ से ज्यादा का बकाया है.
नए कानून के तहत जेपी इन्फ्राटेक को दिवालिया घोषित किए जाने की कार्रवाई चल रही है. जेपी इंफ्राटेक को अपनी हालत में सुधार के लिए 9 महीने का समय दिया गया है लेकिन नोएडा-ग्रेटर नोएडा में सिर्फ जेपी इंफ्राटेक ही नहीं बल्कि ऐसे कुछ और भी बिल्डर हैं जिन पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. ये आम्रपाली, यूनीटेक, कॉस्मिक अर्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रीमिया ग्रुप हैं. ये ऐसे बिल्डर हैं जिनके कई प्रोजेक्ट शुरु ही नहीं हुए. जो शुरु हुए वो बीच में ही बंद पड़ गए और जो बन गए हैं उन्हें नोएडा-ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने पूरा होने का सर्टिफिकेट नहीं दिया है. वजह ये कि इन्होंने अथॉरिटी का बकाया पैसा नहीं चुकाया है. ये बैंकों की EMI भी जमा नहीं कर रहे हैं.
नए कानून के तहत जेपी इन्फ्राटेक को दिवालिया घोषित किए जाने की कार्रवाई चल रही है. जेपी इंफ्राटेक को अपनी हालत में सुधार के लिए 9 महीने का समय दिया गया है लेकिन नोएडा-ग्रेटर नोएडा में सिर्फ जेपी इंफ्राटेक ही नहीं बल्कि ऐसे कुछ और भी बिल्डर हैं जिन पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. ये आम्रपाली, यूनीटेक, कॉस्मिक अर्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रीमिया ग्रुप हैं. ये ऐसे बिल्डर हैं जिनके कई प्रोजेक्ट शुरु ही नहीं हुए. जो शुरु हुए वो बीच में ही बंद पड़ गए और जो बन गए हैं उन्हें नोएडा-ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने पूरा होने का सर्टिफिकेट नहीं दिया है. वजह ये कि इन्होंने अथॉरिटी का बकाया पैसा नहीं चुकाया है. ये बैंकों की EMI भी जमा नहीं कर रहे हैं.