नई दिल्ली. दिल्ली की निर्वाचन निगरानी समूह ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) ने गुरुवार को जारी अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि वित्त वर्ष 2012-13 से 2015-16 के बीच चार वर्षो में बीजेपी यानी कि भारतीय जनता पार्टी को 705.81 करोड़ रुपये का चंदा मिला है. एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, इन चार वर्षो के दौरान कॉरपोरेट एवं व्यापारिक घरानों ने पांच राष्ट्रीय पार्टियों को कुल 956.77 करोड़ रुपये का चंदा दिया.
रिपोर्ट की मानें तो बीजेपी पार्टी को 705.81 करोड़ रुपये 2,987 कॉरपोरेट दानदाताओं से चंदा मिले, वहीं, कांग्रेस को 167 कॉरपोरेट घरानों से 198.16 करोड़ रुपये चंदे प्राप्त हुए.
चुनाव आयोग को राजनीतिक पार्टियों की ओर से दिये गये सूचना के आधार पर रिपोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी रांकापा को 50.73 करोड़ चंदा मिला है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को 1.89 करोड़ और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) को 0.18 करोड़ रुपया चंदा मिला.
खास बात ये है कि बीजेपी को सबसे अधिक चंदा ट्रस्टों और व्यापारिक घरानों से आया है, जो रीयल इस्टेट, खनन, विनिर्माण, तेल और बिजली, निर्माण, निर्यात/आयात से संबंधित कामों से जुड़े हैं.
बता दें कि इतने बड़े चंदे की रिपोर्ट ऐसे वक्त में आई है जब भारत में चुनावी फंडिग को पारदर्शी बनाने और चुनाव को धनबल से मुक्त कराने की आवाज सबसे ज्यादा उठ रही है.
एडीआर की रिपोर्ट से ये बात भी साफ दिखती है कि जब बीजेपी सत्ता में नहीं थी तो अधिकतर डोनर्स कांग्रेस को चंदा देना पसंद करते थे. इसका साफ इशारा है कि वे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के जीत की अपेक्षा रखते थे. साल 2012-13 में भी जब कांग्रेस की यूपीए सरकार थी तब वो भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही थी.
एडीआर की इस रिपोर्ट में भाजपा, कांग्रेस, भाकपा, माकपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को राष्ट्रीय पार्टी माना गया है. इस रिपोर्ट में बसपा को भी शामिल नहीं किया गया है. बता दें कि सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को चुनाव आयोग को 20,000 रुपये से अधिक के दान का विवरण देना होता है.