नई दिल्ली: हिंदुस्तान के 9 राज्य बाढ़ से कराह रहे हैं. यूपी और बिहार में बेकाबू बाढ़ ने ज्यादा कहर मचाया, सबसे ज्यादा तबाही बिहार में मची है. जहां हर घंटे बाढ़ इंसानों की जान ले रही है. बाढ़ से बेहाल लोगों ने पक्के मकान की छत या ऊपरी मंजिल पर शरण ले रखी है लेकिन जिनके घर एक ही मंजिल के हैं. वहां बेडरूम से लेकर किचन तक बाढ़ का पानी है.
दरभंगा में चारों तरफ बाढ़ से बर्बादी दिख रही है. कच्चे घर, खेत-खलिहान सब तबाह हो गए. मुसीबत की बाढ़ में फंसी महिलाएं गीत गाकर कमला-बलान नदी को मनाने की कोशिश कर रही हैं. बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार बाढ़ पीड़ितों का हाल जानने पहुंचे तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा.
पूर्णिया जिले में घर, खेत, सड़क हर जगह 5 से 6 फीट तक पानी भरा है. खेतों में इंसान बह रहे हैं, घरों में भी डूबने खतरा है. पूर्णिया की इस बस्ती में एनडीआरफ की नावें नहीं केले के पेड़ से बनी जुगाड़ वाली नावें चल रही हैं. बच्चे, बुजुर्ग और पशुओं को किसी तरह से बचाकर लोगों ने नेशनल हाईवे पर शरण ले रखी है.
पूर्णिया में उत्तर भारत को असम से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे कई जगह बाढ़ के पानी से कट चुका है. लिहाजा हजारों ट्रक सड़क पर खड़े हैं. तबाही वाले इस इलाके में एनडीआरएफ की टीम भी लगी है. बिहार में बाढ़ से सबसे ज्यादा मौत अररिया जिले में हुई है. यहां डीएम 20 मौत की बात करते हैं लेकिन लोगों के मुताबिक मरने वालों की संख्या ज्यादा है.
सुपौल में कोसी नदी ने कहर मचा रखा है. यहां 6 प्रखंड के सैकड़ों गांव प्रलयकारी बाढ़ की चपेट में हैं. हजारों एकड़ खेत डूब चुके हैं. सुपौल में सैलाब 10 लोगों को निगल चुका है. हालात ये हैं कि इंसानों के पास ना रहने का ठिकाना है ना ही निबाला. सड़कों पर डेरा डाले लोग भगवान भरोसे हैं.
गोपालगंज में नेशनल हाईवे पर सैलाब बह रहा है. सारण बांध टूटने से नदी की बाढ़ ने NH-28 को डुबो दिया. जिसके चलते हजारों गाड़ियां जहां तहां फंसी हैं. यहां बाढ़ के कहर से 60 से ज्यादा गांवों में तबाही मची है. पूर्वी चंपारण के मोतिहारी में बागमती, बूढ़ी गंडक और लालबकया तीन-तीन नदियों का तांडव मचा है. मजबूरन लोगों ने नेशनल हाईवे पर शरण ले रखी है.
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