सिख विरोधी हिंसा मामला: SIT की ओर से बंद किए गए केसों की छानबीन के लिए SC ने गठित किया पैनल

सुप्रीम कोर्ट ने 1984 सिख विरोधी हिंसा मामले में SIT द्वारा छटनी के बाद बंद किए गए केसों की छानबीन के लिए दो रिटायर जजों के सुपरवाइजरी पैनल का गठन किया है

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सिख विरोधी हिंसा मामला: SIT की ओर से बंद किए गए केसों की छानबीन के लिए SC ने गठित किया पैनल

Admin

  • August 16, 2017 6:22 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 1984 सिख विरोधी हिंसा मामले में SIT द्वारा छटनी के बाद बंद किए गए केसों की छानबीन के लिए दो रिटायर जजों के सुपरवाइजरी पैनल का गठन किया है. शुरुआत में ही बंद किए गए 199 केसों के अलावा 42 अन्य मामलों की फाइलों को देखेगा. फिर ये तय करेगा कि SIT द्वारा केस बंद करने का फैसला सही है या नहीं.
 
इन केसों को दोबारा जांच के लिए शुरु किया जाए या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने केसों की जांच पूरी करने के लिए पैनल को तीन महीने का समय दिया है. सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख निर्धारित की है. 
 
बता दें कि आज 1984 सिख विरोधी हिंसा मामले की कोर की निगरानी में जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 199 फाइले दाखिल की थीं. कोर्ट ने कहा था कि इन फाइलों की फोटो कॉपी सील बंद लिफाफे में कोर्ट में जमा की जाए.
 
 
सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से गठित विशेष जांच दल(एसआईटी) द्वारा 1984 दंगों से संबंधित 293 में से 240 मामलों को बंद करने के निर्णय पर ‘संदेह जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इनमें 199 मामलों को बंद करने के कारण बताने के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह जानना चाहा कि आखिर किन आधारों पर इन मामलों की जांच आगे नहीं बढ़ाई गई. इससे पहले अटॉर्नी जनरल ने पीठ से कहा कि इस घटना को 33 वर्ष बीत गए हैं. उन्होंने कहा कि पीडि़तों और चश्मदीदों की खोज-खबर नहीं है. ऐसे में जांच कैसे संभव है.
 
वहीं दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दत्तार ने अटॉर्नी जनरल की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि अब तक  यह जानकारी सार्वजनिक नहीं है कि आखिरकार एसआईटी ने 80 फीसदी मामलों को क्यों बंद कर दिया. उन्होंने बताया कि ट्रायल कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट नहीं दाखिल की गई है. उन्होंने कहा कि यह तो पता चलना ही चाहिए कि आखिरकार इन मामलों को क्यों बंद किया गया.
 
 
सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की स्टेटस रिपोर्ट पर गौर करते हुए कहा था कि इन मामलों की जांच के लिए एक हाई लेवल कमेटी बनाने का जरूरत है जो मामलों की जांच और डे-टू-डे ट्रायल की निगरानी कर सके. दरअसल सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर कहा है.
 
याचिका में मामलों के लिए गठित SIT की निगरानी करने और जांच व ट्रायल में तेजी लाने के आदेश देने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी. केंद्र की रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंसा से जुडे 650 केस दर्ज किए गए थे जिनमें से 293 केसों की SIT ने छानबीन की थी. रिकॉर्ड खंगालने के बाद इनमे से 239 केस SIT ने बंद कर दिए हैं. इनमे 199 केस सीधे-सीधे बंद कर दिए गए.
 
 
कुल 59 मामलों की दोबारा जांच शुरु की गई  जिसमे चार मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई जबकि इनमें से दो मामलों को बंद किया जाएगा क्योंकि आरोपियों की मौत हो चुकी है. जबकि 38 मामलों को बंद कर दिया गया. जिन 35 केसों की प्राथमिक जांच शुरु की गई उनमे 28 केसों की जांच पूरी की गई. लेकिन रिपोर्ट में ये नहीं बताया गया कि कितने केस बंद किए गए और कितने में चार्जशीट दाखिल की गई.

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