अब गूगल अर्थ वॉयजर के साथ करें बापू की दांडी मार्च की डिजिटल यात्रा, ये है तरीका

नई दिल्ली. अगर अब तक आप महात्मा गांधी की ऐतिहासिक दांडी यात्रा के बारे में सिर्फ किताबों में पढ़ रहे हैं तो अब तैयार हो जाए इसका डिजिटल अनुभव लेने के लिए. अब आप सर्च इंजन गूगल के जरिये महात्मा गांधी की दांडी यात्रा की अनुभूति कर सकते हैं. गूगल ने आधुनिक पीढ़ी को दांडी यात्रा के बारे में बताने और अनुभूति कराने के लिए डिजिटल रास्ता अपनाया है.
गूगल ने इसी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इंटरनेट यूजर्स को एक खास तरह का तोहफा दिया है. गूगल ने दांडी मार्च की कहानी को गूगल अर्थ वॉयजर पर शामिल किया है. गूगल ने अपने बयान में कहा है गूगल अर्थ पर ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिनमें से कई कहानी कभी जारी नहीं की गई है.
मैप्स के जरिए पूरी दांडी यात्रा को 22 स्लाइड में फोटो के साथ दिखाया गया है. यूजर्स 22 स्लाइड्स के एक असेंबल ट्रेक का अनुभव करने के लिए Google धरती के वायेजर पर पहुंच सकते हैं. साथ ही इस अनुभव यात्रा के दौरान रास्ते में यूजर महात्मा गांधी की यात्रा के विशेष स्थानों को कैप्चर करेंगे.
गूगल अर्थ के वॉयजर ने उस समय की ली गई तस्वीरों की मदद से दांडी यात्रा के दौरान किस विशिष्ट स्थान पर क्या हुआ था, इस चीज को दिखाने की कोशिश की है. गूगल अर्थ पर ये दांडी यात्रा की डिजिल यात्रा की शुरुआत गुजरात विद्यापीठ विश्वविद्यालय से होती है. जहां यूजर्स वासना शहर के निवासियों के द्वारा बनाए गये झोपड़ियों के बारे में जान सकते हैं. यहां वॉयजर आपको उस नाव मालिक की कहानी सुनाएगा, जो करीब 400 लोगों को मुफ्त में नर्मदा नदी को पार कराया था.
गूगल अर्थ का वॉयजर महात्मा गांधी की साबरमती से दांडी तक की नमक मार्च की यात्रा का प्रतीक है. इस कहानी को गांधी के परपोते तुषार गांधी के शब्दों में बयां किया गया है. ये पूरी कहानी इससे पहले कभी नहीं कही गई. जैसे ही यूजर्स स्टोरी पर क्लिक करेंगे, मैप खुद ब खुद उन्हें प्रत्येक लोकेशन पर ले जाएगा. यूजर्स इस लोकेशन की बारीकी को जानने के लिए जूम और पैन भी कर सकते हैं.
हाल ही में Google धरती हाल ही में बदल दिया गया था और इसे सामाजिक और इंटरैक्टिव बनाने के लिए नई सुविधाओं को जोड़ने के लिए अपडेट किया गया था। मल्लाह मूल रूप से लोगों को “इंटरेक्टिव निर्देशित टूर” ब्राउज़ करने की अनुमति देता है जो वैज्ञानिक, गैर-लाभकारी और अन्य “स्टोरीटेल्जर” द्वारा बनाई गई है। इस मामले में, तुषार गांधी की कहानी “उनके परिवार के ज्ञान और 2005 में मार्च की अपनी वापसी के आधार पर है।”
हाल ही में गूगल अर्थ को रिडिजाइन्ड किया गया है और इसे सोशल और इंट्रेक्टिव बनाने के लिए इसमें नये फीचर्स को अपडेट किया गया है. वॉयजर्स लोगों को इंट्रेक्टिव गाइडेड टूर्स ब्राउज करने की इजाजत देता है.
बता दें कि जब अंग्रेजों ने नमक बनाने पर कानूनी पाबंदी लगा दी थी, तो इसके विरोध में 12 मार्च, 1930 को 24 दिन की यात्रा शुरू हुई थी. महात्मा गांधी के साथ 78 लोगों ने करीब 400 किलोमीटर वाले इस मार्च की शुरुआत की थी. रास्ते में भी बहुत से लोग उनके साथ शामिल होते गए.
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