लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सालों से लंबित पड़े नोएडा और ग्रेटर नोएडा में निर्माणाधीन आवासीय परियोजनाओं को लेकर बड़ा फैसला किया है. अब योगी सरकार ने इन प्रोजेक्ट्स के ऑडिट शुरू करने का आदेश दे दिया है. राज्य के मुख्य सचिव राजीव कुमार ने सालों पहले बुक हुए और लंबित पड़े फ्लैट्स पर मीटिंग के बाद ये निर्देश दिया है.
नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटीज के सीईओज अब 16 और 18 अगस्त को आम्रपाली समेत कई रियल एस्टेट कंपनियों से मुलाकात करेंगे. आम्रपाली के डायरेक्टरों ने खरीदारों को घर देने का भरोसा दिलाने के लिए इसी सप्ताह प्रशासन को अपने पासपोर्ट्स सौंप दिए.
नोएडा के सीईओ अमित मोहन प्रसाद के मुताबिक, हमें हालात सुधारने और हर हाल में घर खरीदारों के बितों को सुनिश्चित करने को कहा गया है. यही वजह है कि हमने 16 और 18 अगस्त को वैसे 36 बिल्डरों की मीटिंग बुलाई है, जिनके प्रॉजेक्ट्स अभी पूरे नहीं हुए हैं. इसी साल मई में इन बिल्डरों के साथ हमने आखिरी मीटिंग की थी.
आगे उन्होंने कहा कि वे आगे भी इस बात की जानकारी लेते रहेंगे और इस बात की प्रगति पर ध्यान रखेंगे. वे आगे देखते रहेंगे कि बिल्डरों ने उनसे किये गये वादे के मुताबिक सही समय पर डिलिवरी दी है या नहीं. उनका कहना है कि उन्हें वैसे बिल्डरों पर कड़ी-से-कड़ी कार्रवाई का भी निर्देश मिला है जो जरूरी सूचनाएं नहीं देंगे और ऐसा मामलों को रेरा के सामने पेश किया जाएगा.
प्रसाद के मुताबिक, आम्रपाली ग्रुप बड़ा डिफॉल्टर है और इस कंपनी पर नोएडा का का लगभग 1,200 करोड़ रुपया बकाया है. यही वजह है कि वे कंपनी के अकाउंट की जांच कराना चाहते हैं, ताकि कंपनी का इरादा पता चल सके.
बता दें कि आम्रपाली ग्रुप को नोएडा और ग्रेटर नोएडा में करीब 30,000 से ज्यादा फ्लैट्स डिलिवर करने हैं. साथ ही उसे जीएनआईडीए का भी 2,000 करोड़ रुपये चुकता करना है. हालांकि, आम्रपाली के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी अपने सभी निर्माणाधीन परियोजनाओं को पूरा करेगी.
गौरतलब है कि जिस मीटिंग के बाद राज्य सचिव ने ये निर्देश दिया उसमें हाउसिंग, इंडस्ट्रीज और स्टांप्स ऐंड रजिस्ट्रेशंस के प्रमुख सचिवों मुकुल सिंघल, आलोक सिन्हा और हेमंत कुमार भी मौजद थे. इनके अलावा ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट अथॉरिटी के अधिकारी भी मौजूद रहे.