अलगाववादी नेताओं को 35A के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं: उमर अबदुल्ला

जम्मू-कश्मीर में लगी आर्टिकल 35A को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि बीजेपी इसे हटाने को लेकर प्रोपेगैंडा फैला रही है, जिसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी इस मुद्दे को जम्मू बनाम कश्मीर की लड़ाई बताते हुए प्रॉपेगैंडा फैला रही है.

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अलगाववादी नेताओं को 35A के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं: उमर अबदुल्ला

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  • August 14, 2017 4:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में लगी आर्टिकल 35A को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि बीजेपी इसे हटाने को लेकर प्रोपेगैंडा फैला रही है, जिसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी इस मुद्दे को जम्मू बनाम कश्मीर की लड़ाई बताते हुए प्रॉपेगैंडा फैला रही है. 
 
उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी कोर्ट के जरिए आर्टिकल 35A को खत्म करने में अगर सफल हो जाती है तो उनका राज्य विषय कानून समाप्त हो जाएगा. उमर ने कहा कि बीजेपी ने साफ कहा था कि वह धारा 370 से छेड़छाड़ नहीं करेगी लेकिन जब उसको लगा कि वह संसद से ऐसा नहीं कर सकती तो वह इस मामले को कोर्ट में लेकर चली गई.
 
 
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्टिकल 35A को रद्द करने से सिर्फ कश्मीर पर ही प्रभाव नहीं पड़ेगा बल्कि जम्मू और लद्दाख के इलाकों पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा. इससे लोग न सिर्फ कश्मीर घाटी में नौकरियों और छात्रवृत्ति से वंचित होंगे बल्कि जम्मू और लद्दाख में भी आम जनता पर इसका असर पड़ेगा. बाहरी लोग आकर आपकी नौकरियों को हासिल करेंगे आपकी जमीन पर रहेंगे.
 
 
उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि अलगाववादी नेताओं को आर्टिकल 35A के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वे भारत के संविधान में विश्वास नहीं रखते हैं. उन्होंने कहा कि अगर आर्टिकल 35A को खत्म किया जाता है तो बाहर लोग यहां आएंगे, संपत्ति खरीदेंगे, अपने बच्चों के लिए शैक्षिणिक स्कॉलरशिप हासिल करेंगे, सरकारी नौकरियां और राहत सामग्री लेंगे भी ले लेंगे. इन्हीं चार चीजों से हमें राजा हरि सिंह ने बचाने का काम किया था.
 
 
सुप्रीम कोर्ट में केस
35A के मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘अगर इस विषय पर पांच जजों की संविधान पीठ से सुनवाई की आवश्यकता महसूस की गई तो तीन जजों वाली पीठ इसे उसके पास भेज सकती है.’ जम्मू-कश्मीर सरकार के वकील ने कहा कि जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने 2002 में सुनाए गए अपने फैसले में अनुच्छेद 35A के मुद्दे का ‘प्रथम दृष्टया निपटान’ कर दिया था.
 
क्या है आर्टिकल 35A
14 मई 1954 को भारत के संविधान में एक नया आर्टिकल 35A जोड़ा गया. जिसमें जम्मू-कश्मीर विधानसभा को ये अधिकार मिला है कि वो तय करे कि राज्य का स्थायी नागरिक कौन है और उसे क्या-क्या सुविधा और अधिकार मिलेंगे. आर्टिकल के मुताबिक जम्मू-कश्मीर से बाहर का कोई भी व्यक्ति न तो जम्मू कश्मीर में सरकारी नौकरी कर सकता है, न ही भूमि, मकान आदि जैसी संपत्ति खरीद सकता है. 
 
 
क्यों चर्चा में है आर्टिकल 35A
असल में इस आर्टिकल के खिलाफ We the Citizen ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई के लिए तीन जजों वाली एक बेंच का गठन कर दिया है. अगस्त के आखिर में सुप्रीम कोर्ट 35A के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा. अब इसके सुनवाई की तारीख नजदीक आ रही है ऐसे में जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों में हलचलें तेज होने शुरू हो गई है. 
 
महिला संगठन आर्टिकल 35A के खिलाफ
कुछ महिला संगठन 35 ए के खिलाफ हैं क्योंकि अगर वो ऐसे लड़के से शादी करती हैं जो राज्य का स्थायी नागरिक नहीं है तो उनके बच्चे को राज्य की स्थायी नागरिकता नहीं मिलती. जबकि अगर लड़के ऐसी लड़की से शादी करें जो स्थायी नागरिक ना हो तो भी उनके बच्चे को स्थायी नागरिकता मिलती है. 

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