गोरखपुर हादसे पर मानवाधिकार आयोग ने 4 हफ्ते के अंदर योगी सरकार से मांगी रिपोर्ट

नई दिल्ली: गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में 60 से ज्यादा बच्चों की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने योगी सरकार को रिपोर्ट तलब की है. आयोग ने योगी सरकार को इस मामले में चार हफ्ते के भीतर जवाब देने का आदेश दिया है. साथ ही आयोग ने इस मामले में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी भी मांगी है.
मानवाधिकार आयोग ने योगी सरकार से पूछा है कि आखिर उसने प्रभावित परिवारों को राहत देने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए हैं. आयोग ने ऑक्सीजन की कमी के चलते ‘जीवन के अधिकार का गंभीर उल्लंघन’ माना है. आयोग ने यूपी के मुख्य सचिव से इस घटना की पूरी जानकारी मांगी है, साथ-साथ किए गए राहत कार्य, परिवारजनों की मदद के लिए उठाए गए कदम और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्यवाही का अगले 4 हफ्ते में ब्यौरा देने को कहा है.
गोरखपुर हादसे के बाद केंद्र सरकार ने सक्रियता दिखाते हुए गोरखपुर में रिजनल मेडिकल सेंटर स्थापित करने को मंजूरी दे दी है. खास बात ये है कि यह मेडिकल रिसर्च सेंटर बच्चों की बीमारियों पर रिसर्च करेगा और उनके टीकों को विकसित करने का काम करेगा. गोरखपुर में मेडिकल रिसर्च सेंटर बनाने पर 85 करोड़ रुपये खर्च आएगा.
गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में 70 से ज्यादा बच्चों की मौत मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इंकार कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने की सलाह दी है.  महिला वकील राजश्री रेड्डी की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक राज्य, एक अस्पताल और एक ही घटना का मामला है. इसलिए हम इसमें दखल नहीं दे सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि इसलिए आप हाईकोर्ट जा सकते हैं.
बता दें कि गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में पिछले पांच दिनों के अंदर 63 बच्चों की मौत हो गई है, जिसकी वजह से पूरे जिले में हाहाकार मचा हुआ है. 32 मौते तो पिछले 48 घंटों में ही हुई हैं, उससे पहले भी तीन दिन के अंदर ही 28 बच्चों ने दम तोड़ दिया था. हालांकि प्रशासन इस बात को मानने से इनकार कर रहा है कि ये मौंते ऑक्सीजन की कमी से हुई हैं.
सरकार भले ही कह रही हो को ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत नहीं हुई लेकिन इंडिया न्य़ूज की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई. इंडिया न्यूज ने अस्पताल के ऑक्सीजन प्लांट का दौरा किया तो पाया कि प्लांट में लिक्विड ऑक्सीजन की मात्रा जीरो थी. प्लांट में लगा मीटर इसकी गवाही दे रहा था.
सूबे के चिकित्सा शिक्षा मंत्री और अस्पताल का दावा था कि ऑक्सीजन की कमी से मौतें नहीं हुई लेकिन प्लांट में ऑक्सीजन की मात्रा बताने वाले मीटर ने इस दावे की कलई खोल दी. अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने के बाद जब बच्चों की मौत होने लगी तो लखनऊ, फैजाबाद से आनन फानन में ऑक्सीजन सिलेंडर मंगाकर हालात पर काबू की कोशिश हुई.
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