नई दिल्ली. भारतीय तिरंगा को देश का आन, बाना और शान माना जाता है. कल यानी कि जब हमारा देश 71वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा तो आसमान में सिर्फ और सिर्फ तिरंगा ही लहराता नजर आएगा. कल हमारा देश आजादी का जश्न मनाएगा और हम सभी तिरंगे के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करेंगे. मगर जिस तिरंगे को हम अपने दिलों जान से भी ज्यादा चाहते हैं, क्या उससे जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में आप जानते हैं?
दरअसल, तिरंगा महज हमारे देश का झंडा नहीं है, बल्कि हमारे देश का प्रतिबिंब है. इस तिरंगे में हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता और विकास जुड़ा है. तीन रंगों से मिलकर बना ये तिरंगा हमारे लिए काफी अहमियत रखता है. हर राष्ट्र का जिस तरह से उसका एक राष्ट्रीय ध्वज होता है, ठीक उसी तरह हमारे देश का भी झंडा है, जिसे तिरंगे के नाम से जाना जाता है.
अगर आप ये मानते हैं कि इस तिरंगे के तीन रंगों का कोई खास अर्थ नहीं है तो आप गलत हैं. तिरंगे में मौजूद जितनी भी चीजें हैं उन सबका एक खास मतलब है, जिसे जानना हम सभी भारतीयों के लिए अत्यंत ही जरूरी हैं. हमारे राष्ट्रीय ध्वज यानी कि तिरंगे में मौजूद तीनों रंग भारतीय सभ्यता, संस्कृति और संप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक हैं.
आज न हम आपको सिर्फ झंडे के बारे में बताएंगे बल्कि इससे जुड़ी इतिहास को भी बताने की कोशिश करेंगे. किसी भी देश का ध्वज उसके स्वतंत्र देश होने का प्रतीक होता है. हमारे तिरंगे में तीन रंग की तीन क्षैतिज पट्टियां हैं और बीच वाली पट्टी में एक चक्र है. हमारे झंडे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी होती है और ये तीनों समानुपात में हैं. खास बात ये है कि इन तीनों रंगों की अपनी एक अलग विशेषता है.
केसरिया रंग: राष्ट्रीय गीत में भी इन रंगों का वर्णन मौजूद है. बहरहाल, तिरंगे में सबसे ऊपर स्थित पट्टी में केसरिया रंग है. केसरिया रंग बल भरने वाला होता है. ये रंग देश की शक्ति तथा साहस को दर्शाता है.
सफेद रंग : तिरंगा के बीच वाली पट्टी सफेद होती है. सफेद रंग को सच्चाई और शांति का प्रतीक माना जाता है. ये हम भारतीयों को सच्चा और शांति का दूत बनने की प्रेरणा देता है. ऐसा माना जाता है कि झंडे में सफेद रंग को महात्मा गांधी के निर्देश के बाद शामिल किया गया था. इस पट्टी में ही अशोक का चक्र भी मौजूद है.
हरा रंग: तिरंगे में सबसे नीचे वाली पट्टी पर हरा रंग है. हरा रंग हमारे देश की धरती की हरियाली का प्रतिनिधित्व करती है. हरा रंग उर्वरता, हरित क्रांति, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है.
तिरंगे में स्थित अशोक चक्र : तिरंगे की तीनों रंगों में से बीच वाले रंग यानी कि सफेद पट्टी में अशोक चक्र मौजूद है. इसमें 24 तिल्लियां हैं. इस अशोक चक्र हमें और हमारे देश को सदा विकास के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देने के लिए होता है. इसे धर्म चक्र भी कहा जाता है. इस चक्र को मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर के अशोक स्तंभ से इस चक्र को लिया गया है. सीधे शब्दों में कहा जाए तो यह चक्र प्रगति का प्रतीक है.
अब जानते हैं कि आखिर ये तिरंगा झंडा कैसे बना हमारा राष्ट्रीय ध्वज. तो इस तिरंगे की यात्रा की शुरुआत ऐसे होती है.
- भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता (कोलकाता) में फहराया गया था. इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज (Horizontal) पट्टियों से बनाया गया था.
- भारत के दूसरे ध्वज को साल 1907 में पेरिस में मैडम कामा और उनके साथ निकाले किए गए कुछ क्रांतिकारियों ने फहराया गया था. यह भी पहले ध्वज की तरह ही था. इसमें सबसे ऊपर बनी पट्टी पर सात तारे सप्तऋषि को दर्शाते थे जबकि एक कमल था.
- भारत के तीसरे ध्वज को साल 1917 में डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान फहराया. इस ध्वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्तऋषि के स्वरूप में इस पर बने सात सितारे थे.
- भारत के चौखे ध्वज को अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के सत्र के दौरान 1921 में बेजवाड़ा में फहराया गया था. यह लाल और हरे रंग से बना था जो हिंदू और मुस्लिम दोनों समदायों को दर्शाता था.
- भारत में पांचवें ध्वज के रूप में 1931 में फहराया गया था. यह ध्वज भारतीय राष्ट्रीय सेना का संग्राम चिन्ह भी था.
- मगर फाइनल रूप से तिरंगे को 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था. अभी जो तिरंगा हम फहराते हैं, उसे आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था. इसे अखिल भारतीय कांग्रेस ने आजादी के ऐलान से पहले ही अपना लिया था, जिसमें अशोक चक्र भी था.