नई दिल्ली : चीन और भारत के बीच डोकलाम को लेकर तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे तनाव और तनातनी के बीच आपके लिए उन लोगों के बारे में जानना जरूरी है जो चीन से हर स्थिति में टकराने को तैयार रहते हैं. ये गांव उत्तराखंड में चीन सीमा के पास बसा है. बद्रीनाथ से करीब 4 किलोमीटर दूर बसे इस गांव का नाम है माणा गांव. यहां के लोगों के इरादे हिमालय जितने मजबूत हैं और वो भारत पर कोई भी खतरा पैदा होने की सूरत में चीन से टकराने के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं.
करीब 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे माणा गांव में कुदरत की खूबसूरती देखते ही बनती है, लेकिन यहां इंसानी जिंदगी हर दिन जंग लड़ने जैसी है. यहां न तो सड़कें हैं और न ही बुनियादी सुविधाएं. गांव के लोग जो खाते हैं, उसे भी खुद ही उगाते हैं. पथरीली जमीन होने के बावजूद यहां आलू की अच्छी पैदावार होती है, लेकिन पहाड़ी इलाका होने की वजह से यहां न आलू का कोई खरीदार पहुंचता है और न पैदावार की अच्छी कीमत मिल पाती है.
माणा गांव देश के दूसरे गांव से बिल्कुल अलग है. पहाड़ों के बीच बसा ये छोटा सा गांव साल में 6 महीने बर्फ से पूरी तरह ढंका रहता है. अक्टूबर से लेकर मार्च महीने तक इस गांव के लोग अपना घर बार छोड़कर माल-मवेशी के साथ नीचे चमोली के आसपास रहने के लिए चले जाते हैं.
इस गांव के लोग भले तंगहाल हैं. जरूरत की कई बुनियादी चीजें उन तक आज भी नहीं पहुंची हैं, लेकिन उनका राष्ट्रप्रेम हिमालय की तरह है, जो कैसे भी हालात में, कैसे भी हालात के लिए तन कर खड़ा है और शायद यही देश की सबसे बड़ी ताकत है.
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