नई दिल्ली. लगातार फिल्मों में कैंची चला-चलाकर बॉलीवुड स्टार्स के पसीने छुड़ाने वाले पहलाज निहलानी की सेंसर बोर्ड से छुट्टी हो गई है. वहीं अब सेंसर बोर्ड का चीफ मशहूर गीतकार प्रसून जोशी को बना दिया गया है. अगर इस पूरे घटनाक्रम को देखें तो ऐसा लगता है कि ‘घर-घर मोदी’ लिखने वाले पहलाजा निहलानी सेंसर बोर्ड से OUT हुए हैं, तो वहीं ‘देश नहीं झुकने दूंगा’ गाना लिखने वाले प्रसून जोशी की एंट्री हुई है.
इन दोनों के बीजेपी और पीएम मोदी के साथ काफी अच्छे रिश्ते रहे हैं. इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि ये पहलाज निहलानी हैं, जिन्होंने 2014 में “हर हर मोदी, घर घर मोदी” वाला गाना बनाया था. इस चुनावी गाने ने पीएम मोदी की इस तरह से ब्रांडिंग की कि साल 2014 में अपार बहुमत से बीजेपी सत्ता में आ गई.
इतना ही नहीं, निहलानी ने नवंबर, 2015 में पीएम मोदी को समर्पित एक और गाना बनाया. “मेरा देश है महान” नाम का यह गाना सिनेमाघरों में फिल्मों के पहले दिखाया जाता था. इस गाने की प्रोडक्शन क्वालिटी और वीडियो में विदेशी लोकेशन्स के भरपूर इस्तेमाल की आलोचना हुई थी.
वहीं, प्रसून जोशी का भी बीजेपी और पीएम मोदी से काफी पुराना रिश्ता रहा है. प्रसून जोशी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कई विज्ञापन बनाए लेकिन जिस एक चीज को पूरा देश इस समय भी याद रखता है वो था गीत- “सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं मिटने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा.”
अगर इस तरह से देखा जाए तो प्रसून जोशी और पहलाज निहलानी दोनों ही बीजेपी और पीएम मोदी के खास रहे हैं. जब निहलानी को सेंसर बोर्ड का प्रमुख बनाया गया था, तब यही कहा गया था कि घर-घर मोदी के नारे की वजह से ही निहलानी को इनाम मिला है. हालांकि, इनाम तो प्रसून जोशी को भी मिला है, जिन्होंने बीजेपी के लिए कई गीत और नारे लिखे हैं.
नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद “स्वच्छ भारत” अभियान चलाया तो प्रसून जोशी झाड़ू लेकर सड़कों पर उतरे और एड-मैन व गीतकार के रूप में अभियान का गीत “स्वच्छ बनेगा इंडिया” भी लिखा. जोशी को 2015 में भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से नवाजा.
टॉप एड एजेंसी मैक्केन के दक्षिण एशिया चेयरमैन प्रसून जोशी का बीजेपी से नाता-रिश्ता नरेंद्र मोदी से पहले का है. जब 2009 में लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाया गया था तो उस साल बीजेपी का सारा विज्ञापन और स्लोगन प्रसून जोशी ही रच रहे थे. आडवाणी के चुनाव प्रचार का नारा- “मजबूत नेता, निर्णायक सरकार” भी प्रसून जोशी की कलम से ही निकला था.
इसलिए नरेंद्र मोदी जब 2014 में अपने चुनाव प्रचार के लिए बहुत सारे एड-मेकर्स की सेवा ले रहे थे तो उनमें प्रसून जोशी भी एक थे. बीजेपी ने ये माना था कि प्रसून जोशी लंबे समय से बीजेपी के लिए विज्ञापन बना रहे हैं इसलिए वो पार्टी की विचारधारा को पूरी तरह समझते हैं और देश के मौजूदा हालात में पार्टी को क्या नारे देने चाहिए, क्या मुद्दे उठाने चाहिए, ये वो बखूबी जानते हैं.
कुल मिलाकर ये कि प्रसून जोशी को सेंसर बोर्ड का चीफ बनाने में कोई राजनीतिक खेल नहीं है लेकिन प्रोफेशनल राजनीतिक रिश्ता इतना लंबा और गहरा है कि सरकार को कोई खतरा नहीं दिखा. हालांकि, खतरा तो सरकार और बीजेपी को पहलाज निहलानी से भी नहीं था, मगर जिस तरह से फिल्मों पर निहलानी लगातार कैंचियां चला रहे थे, उससे फिल्म इंडस्ट्री के लोगों में काफी रोष था और एक खेमा इनसे नाराज चल रहा था.
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इतना ही नहीं, पहलाज निहलानी के रवैये को लेकर भी उनकी खूब आलोचना हो रही थी, इतना ही नहीं, सेंसर बोर्ड को संस्कारी बोर्ड से लोग पुकारन लगे थे. कुल मिलाकर पहलाज के कारण पूरी तरह से सेंसर बोर्ड की किरकिरी हो रही थी. यही वजह है कि सरकार ने इस किरकिरी से बचने के लिए पहलाज निहलानी को हटाकर प्रसून जोशी को सेंसर बोर्ड का मुखिया बनाया है.
इससे पहले भी ऐसी खबरें आ रही थीं कि खुद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय निहलानी के काम-काज के तरीकों से खुश नहीं था. इसके अलावा आमिर खान ने भी पहलाज के रवैये को लेकर कुछ दिनों पहले अपनी प्रतिक्रिया दी थी.
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