सुनवाई से पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा- शिया वक्फ बोर्ड 70 साल पहले हार चुका है केस

अयोध्या में राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में आज से सुप्रीम कोर्ट में दोपहर 2 बजे से सुनवाई शुरू होगी

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सुनवाई से पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा- शिया वक्फ बोर्ड 70 साल पहले हार चुका है केस

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  • August 11, 2017 7:38 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सनवाई शुरू होने से पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड तो 70 साल पहले केस हार गया था. वकील अनूप चौधरी ने इंडिया न्यूज/इनखबर से बातचीत में कहा कि इस मामले में कई आवेदन पत्र लगे हैं जिसपर सुनवाई होगी. उन्होंने कहा कि अभी अपील परिपक्व नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी की अर्जी पर कोर्ट सुनवाई करेगा.
 
उन्होंने कहा कि अयोध्या में पूजा करने का अधिकार अभी यथास्थिति बनी हुई है. वकील अनूप चौधरी ने शिया वक्फ बोर्ड की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शिया वक्फ बोर्ड 70 साल पहले केस हार गया था. लेकिन अब वे निचली अदालत के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जबकि उनको हाई कोर्ट जाना चाहिए था. 
 
 
बता दें कि अयोध्या मामले की सुनवाई शुरू होने से पहले ही शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. जिसमें उन्होंने थोड़ी दूर पर मस्जिद बनाने के लिए सरकार जमीन दे दे तो वो जन्मभूमि पर दावा छोड़ने के को तैयार हैं. शिया वक्फ बोर्ड ने हालांकि ये सीधे तौर पर नहीं कहा है कि विवादित जमीन पर राम मंदिर बने लेकिन इस जमीन के तीन दावेदारों में अगर मुसलमान पक्ष दावा छोड़ दें तो बचे हुए दो पक्ष हिन्दू हैं जो वहां मंदिर बनाने की कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.
 
 
मुस्लिमों के दावा छोड़ने का सीधा मतलब राम मंदिर बनने का रास्ता साफ होना होगा. ये भी बता दें कि शिया वक्फ बोर्ड इस जमीन को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड से 1945 में ही केस कार गया था और तब से राम जन्मभूमि पर चल रहे केस में मुसलमानों का पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड ही रख रहा है.
 
इलाहाबाद HC ने सुनाया था ये फैसला
इलाहाबादा हाईकोर्ट ने 2010 में विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने एक तिहाई जमीन यानी राम चबूतरा और सीता रसोई वाली जगह निर्मोही अखाड़ा को, एक तिहाई हिस्सा यानी रामलला मूर्ति वाली जगह रामलला विराजमान को और बचा हुए एक तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला किया था.

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