वेंकैया नायडू का स्वागत करते हुए PM मोदी बोले- ‘जहां से गुजरें तुम्हारी नजरें, वहां से तुम्हें सलाम आए’

नई दिल्ली : वेंकैया नायडू ने 13वें उपराष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है,  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नायडू को राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई. शपथ लेने के बाद नायडू बतौर सभापति राज्यसभा पहुंचे. उप-राष्ट्रपति पद संभालने पर पीएम मोदी ने वेकैंया नायडू को बधाई देते उनका स्वागत किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा को संबोधित करते हुए कहा कि वेंकैया एक ऐसे पहले उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने स्वतंत्र (आजाद) भारत में जन्म लिया है. वह एक किसान परिवार से हैं. वेकैंया नायडू की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वेकैंया जी ने केंद्र में रहकर काफी अच्छे काम किए हैं, उनके विचार भी काफी स्पष्ट हैं. देश को पहले ऐसे उप-राष्ट्रपति मिले हैं जो संदन की बारीकियों भलीभांती परिचित हैं.
नरेंद्र मोदी ने कहा कि वेकैंया जी की बातें लोगों के मन को छूती हैं. आज जब वेंकैया जी इस गरिमापूर्ण पद को ग्रहण कर रहे हैं तो उसी बात को कहूंगा, ‘अमल करो ऐसा अमन में,जहां से गुजरें तुम्हारी नजरें, उधर से तुमको सलाम आए’. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना वेकैंया नायडू की देन है.
पीएम मोदी ने कहा कि जब भी कैबिनट की चर्चा होती है तो वह शहरी मुद्दों से ज्यादा ग्रामीण और किसानों के मामले पर बात करते हैं. उन्होंने आगे संबोधित करते हुए कहा कि आज हिंदुस्तान के संवैधानिक पदों पर वे लोग बैठे हैं, जिनकी पृष्ठभूमि गरीब की है, गांव की है, सामान्य परिवार से हैं. आज सामान्य पृष्ठिभूमि के 2 लोग सर्वोच्च पद पर हैं.
मोदी जी ने कहा कि सांसद के तौर पर हमेशा वेकैंया नायडू की कमी खलेगी.  हुए पीएम मोदी ने कहा कि कई सालों तक मुझे उनके साथ काम करने का मौका भी मिला है.सार्वजनिक जीवन में वह जेपी आंदोलन की वह पैदाइश हैं, उस वक्त जो आंदोलन हुआ था वह आंध्र प्रदेश में युवा नेता के तौर पर आगे बढ़कर नेतृत्व करते दिखाई दिए.
कुछ ऐसा रहा वेंकैया नायडू का राजनीतिक सफर
वेंकैया नायडू का जन्म 1 जुलाई 1949 को चावटपलेम, नल्लोर जिला, आंध्र प्रदेश के एक कम्मा परिवार में हुआ था. नेल्लोर से ही हाई स्कूल की पढ़ाई की और वीआर कॉलेज से राजनीति में स्नातक की पढ़ाई की. उसके बाद आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम से कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की. पहली बार 1974 में वे आंध्र विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए. 1975 में इमरजेंसी में जेल भी गए थे. महज 29 साल की उम्र में 1978 में पहली बार विधायक बने.

देश को पहले ऐसे उप-राष्ट्रपति मिले हैं जो संदन की बारीकियों भलीभांती परिचित हैं.

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