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सावधान: कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैली स्वाइन फ्लू महामारी, ऐसे रखें ख्याल और बचाएं जान

स्वाइन फ्लू पूरे देश में तेजी से फैल रहा है. जम्मू-कश्मीर में 9 मरीज मिले हैं जिसमें जम्मू रीजन के 2 और कश्मीर के 7 मरीज शामिल हैं लेकिन शुक्र है कि कोई मौत नहीं हुई है

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  • August 10, 2017 5:08 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली: स्वाइन फ्लू पूरे देश में तेजी से फैल रहा है. जम्मू-कश्मीर में 9 मरीज मिले हैं जिसमें जम्मू रीजन के 2 और कश्मीर के 7 मरीज शामिल हैं लेकिन शुक्र है कि कोई मौत नहीं हुई है. तमिलनाडु में इस साल 2956 मरीज मिले हैं जिसमें 15 की मौत हो चुकी है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि इस बीमारी से बचने और उसके रोकथाम के लिए क्या-क्या करना जरूरी है या फिर अगर आप स्वाइन फ्लू से ग्रसित हैं तो इस स्थिति में आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. 
 
स्वाइन फ्लू के लक्षण 
शरीर के व्यक्ति में एच1 एन1 फ्लू के कई लक्षण होते हैं. जिनसे की आप समझ सकते हैं कि सामने वाला या खुद आप स्वाइन फ्लू से ग्रसित हैं. 
बुखार होना– स्वाइन फ्लू का शुरुआती लक्षण बुखार होना है. लेकिन ये बुखार रूक-रूक कर या फिर कुछ घंटों के अंतराल में होना चाहिए. मतलब बुखार आएग कुछ देर रहेगा और फिर शरीर सामान्य हो जाएगा. 
 
कफ– शरीर में कफ बनना भी स्वाइन फ्लू के लक्षण हो सकते हैं. इसके साथ-साथ गले में खरास होना भी स्वाइन फ्लू के लक्षणों में से एक है.
 
नाक से पानी बहना- नाक से बार पानी बहना भी स्वाइन  फ्लू के लक्षण है. या फिर आंखों से पानी आना या आंखों का लाल हो जाना भी स्वाइन फ्लू के लक्षण है.
 
शरीर में दर्द– शरीर में और सर में दर्द होना भी स्वाइन फ्लू का लक्षण हैं. या फिर थकान महसूस होना. मिचली और उल्टी-दस्त का होना भी इसके लक्षणों में शामिल हैं.  
 
 
डॉक्टर को कब दिखाएं
यदि आप आमतौर पर स्वस्थ रहते हैं और बुखार, खांसी और शरीर में दर्द जैसे लक्षण विकसित हो रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर को दिखने की जरूरत नहीं है. लेकिन इन लक्षणों के साथ आप गर्भवती हैं या फिर आपको अस्थमा, मधुमेह, Emphysema, हर्ट की बीमारी है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि, ऐसी स्थिति में स्वाइन फ्लू  का खतरा ज्यादा रहता है.
 
स्वाइन फ्लू के उपचार 
स्वाइन फ्लू के अधिकतर मामलों में सिर्फ लक्षण संबंधित उपचार की आवश्यकता होती है. लेकिन अगर आपको पुरानी बीमारी है तो डॉक्टर आपको अतिरिक्त दवा भी लिख सकता है. स्वाइन फ्लू के शुरुआती लक्षणों में पहले एक दो दिन तक एंटीवायरल ड्रग्स ले सकते हैं. इसके बाद भी आराम नहीं मिल रहा तो डॉक्टर को दिखा दें. 
 
 
इनको रहता है स्वाइन फ्लू होने का ज्यादा खतरा
  •  कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिनको स्वाइन फ्लू होने का डर हमेशा बना रहता है. जैसे कि अगर आप हॉस्पिटल काफी देर तक हैं या फिर काफी दिन से आपका उपचार चल रहा है. 
  •  5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर स्वाइन फ्लू होने का ज्यादा डर बना रहता है. दो साल से छोटे बच्चों पर तो खासकर. 
  • या फिर आपकी उम्र 65 साल या उससे अधिक है तो स्वाइन फ्लू होने का खतरा बना रहता है. 
  • गर्भवती महिला, दो सप्ताह पहले बच्चे को जन्म देने वाली महिला या फिर उन महिलाओं पर ज्यादा खतरा रहता है 
  • जिनको गर्भावस्था का नुकसान हुआ है.
  • अगर आपकी उम्र 19 साल से कम है लेकिन आप लंबं समय से एस्पिरिन थेरेपी ले रहे हैं तो ऐसे लोगों को स्वाइन फ्लू होने की संभावना ज्यादा होती है. 
 
स्वाइन फ्लू होने पर करें ये घरेलू उपचार 
तरल पदार्थ का सेवन करें- बीमारी से पीड़ित होने पर आप ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं, जूस, गर्म सूप पीने से उल्टी-दस्त में राहत मिलेगी. 
आराम करें– स्वाइन फ्लू की चपेट में हैं तो ज्यादा से ज्यादा सोने का प्रयास करें, इससे हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण से लड़ने में सहायता मिलेगी. 
दर्द निवारक लें- शरीर के दर्द को कम करने के लिए कुछ दवाएं हैं जैसे एसिटामिनोफेन, इबुप्रोफेन ले सकते हैं लेकिन छोटे बच्चों को ऐसी दवा देते समय सावधानी बरतें, या डॉक्टर से संपर्क करने के बाद ही दें तो बेहतर होगा. 
 
 
स्वाइन फ्लू होने के बाद कुछ ऐसे उपचार हैं जो आप घर पर ही कर सकते हैं
घर से बाहर न निकलें- अगर आप स्वाइन फ्लू (H1N1 flu) से पीड़ित हैं तो इसमें आपको आराम की जरूरत ज्यादा है. बुखार उतरने के 24 घंटे बाद तक मरीज का आराम की जरूरत है. 
 
हाथ को अच्छी तरह और कई बार धोएं– स्वाइन फ्लू पीड़ित व्यक्ति अपने हाथ को साबुन और पानी से अच्छी तरह और बार-बार धोना चाहिए. चाहे तो एल्कोहल युक्त हैंड सेनिटाइजर यूज कर सकते हैं.
 
कफ के लिए टीसू पेपर यूज करें– अगर आपको कफ है तो ध्यान रखे इसके लिए टीसू पेपर यूज करें और उसको किसी अलग स्थान पर फेंकें. अगर छींक आ रही है तो मुंह और नांक को ढककर रखें. 
 
भीड़ से बचें– जितना हो सके उतना भीड़ से अलग रहें. क्योंकि ऐसे में पीड़ित को भी आराम नहीं मिलता और दूसरों पर भी इस बीमारी के फैलने का खतरा बना रहता है. अगर हाई रिस्क पर हैं तो भीड़-भाड़ वाले इलाकें में तो बिल्कुल न जाएं. अगर जाएं भी तो बिना मास्क के तो बिल्कुल नहीं. 
 
एक व्यक्ति करें देखभाल– अगर आपके घर के किसी सदस्य को स्वाइन फ्लू हुआ है तो उसके देखभाल के पूरे परिवार को न लगाएं. कोई एक व्यक्ति हो जो उसका देखभाल की जिम्मेदारी संभाले. नहीं तो स्वाइन फ्लू फैलने का खतरा बढ़ा जाता है. 
 

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