नई दिल्ली: चीन दिन रात भारत के खिलाफ चाल पर चाल चल रहा है . डोकलाम के मुद्दे पर चीन की पूरे विश्व में थू-थू हो रही है और इसका कारण वो हिंदुस्तान को मानता है. इसलिए डोकलाम पर अड़ा चीन अब भारत से लगी अपनी दो सरहदों पर भी साजिशें रच रहा है और घुसपैठ कर रहा है.
उत्तराखंड में तो बाकायदा चीन ने अभी कुछ दिनों पहले घुसपैठ भी करने की असफल कोशिश की थी. वहीं सिक्किम से लगी चीन की सीमा भी बेहद सेंसिटिव है. इंडिया न्यूज़ ने दोनों सरहदों पर जाकर वहां जायजा लिया और सामने आया चीन की बर्बादी का वो मंजर है. लेकिन उससे पहले चीन देख ले कि अगर उसने हिंदुस्तान की इन दोनों बॉर्डरों पर आंख भी उठाकर देखा तो कैसे सेना से पहले यहां के लोग चीन की आंखें नोंच लेंगे.
ये दोनों आवाज़ें चीन के लिए बड़ी चेतावनी है. डोकलाम मुद्दे पर चीन के अड़ियल रुख और गीदड़ भभकियों से सेना ही नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान के लोगों में गुस्सा है. देश में ये पहली बार है. जब किसी टीवी चैनल ने सच को टटोलने के लिए..चीन की सीमा से सटे दो इलाकों में पंहुचकर कोशिस की है.
उत्तराखंड और सिक्किम दोनों जगह इंडिया न्यूज के दो रिपोर्टर घूम रहे है और ये जानने और समझने की कोशिस कर रहे है कि आखिर चीन की क्या साजिश चल रही है. इलाकों के बारे में बताएंगे चीन की चाल को भी करेंगे बेनकाब और साथ ही बताएंगे कि कैसे हिंदुस्तान का बच्चा बच्चा चीन की असलियत न सिर्फ जानता है बल्कि उसका मुंह तोड़ जवाब देने के लिए भी पूरी तरह से तैयार है.
सबसे पहले आपको लेकर चलते है बाराहोटी. उत्तराखंड के चमोली जिले का बाराहोटी चीन के निशाने पर है. डोकलाम में चल रहे तनाव के बीच चीन ने बाराहोटी में इसी 26 जुलाई को घुसपैठ की थी. इंडिया न्यूज की टीम आज उसी बाराहोटी के दुर्गम इलाके में पहुंची है.
ये वही इलाका है जहां चीनी सैनिकों ने इसी 26 जुलाई को घुसपैठ की थी. चीनी सैनिकों की ये घुसपैठ उस वक्त हुई जब डोकलाम में भारत और चीन की सेना आमने सामने थी .आपको बता दें कि चीन द्वारा की गई इस घुसपैठ के ठीक एक दिन बाद ही भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अपने चीनी समकक्ष और स्टेट काउंसलर से डोकलाम मुद्दे पर बात की थी. लेकिन बावजूद इसके तनाव के हालात में चीन ने बाराहोती में घुसपैठ कर हिन्दुस्तान को उकसाने की कोशिस की है.
बाराहोटी उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड पर आधारित ‘मिडिल सेक्टर’ में पड़ने वाली उन तीन सीमा चौकियों में से एक है, जहां आईटीबीपी के जवानों को उनके हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है. साल 1958 में दोनों देशों ने 80 वर्ग किलोमीटर के ढलान वाले इस चारागाह बाराहोटी को एक विवादित क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया था.
जिसमें कोई भी देश अपने सैनिक नहीं भेजेगा. साल 1962 के युद्ध में चीन की सेना पीएलए 545 किलोमीटर के मिडिल सेक्टर में नहीं घुसी थी और उसने अपना ध्यान पश्चिमी में लद्दाख और पूर्व में अरूणाचल प्रदेश पर केन्द्रीत कर ऱखा था. लेकिन डोकलाम विवाद के बाद चीन बौखला गया है. अब वो भारत को उकसाने के लिए हर विवादित हिस्से पर अपनी पैठ बढाने की कोशिस में लगा हुआ है.