नई दिल्ली: महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा समुदाय का दबदबा रहा है, लेकिन पिछले एक साल से मराठा समाज के लोग आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. इस आंदोलन का कोई नेता नहीं है. शहरों में जनसैलाब उमड़ता है, जिसे नाम दिया गया है मराठा मूक क्रांति मोर्चा.
पिछले साल 9 अगस्त को औरंगाबाद से शुरू हुआ ये आंदोलन आज मुंबई की रफ्तार थाम चुका है. लाखों का हुजूम मुंबई के मशहूर आजाद मैदान में है. आखिर मराठा समाज को आरक्षण मांगने के लिए सड़कों पर क्यों उतरना पड़ा ? क्या इसके पीछे भी वोट बैंक की राजनीति है ?
इस आंदोलन ने एक सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा किया है कि क्या जातिवाद और आरक्षण की राजनीति देश से कभी खत्म नहीं होगी. 13 जुलाई 2016 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के कोपर्डी गांव में एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप हुआ और फिर उसकी हत्या कर दी गई. लड़की मराठा समुदाय की थी और आरोपी दलित जाति का था.
इस दरिंदगी के खिलाफ 9 अगस्त को औरंगाबाद में मराठा समाज के लोगों ने मौन जुलूस निकाला. तब किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि ये एक ऐतिहासिक आंदोलन की शुरुआत है. मुंबई में आज मराठा क्रांति मोर्चा के बैनर तले पूरे महाराष्ट्र से लाखों लोगों ने मौन जुलूस में हिस्सा लिया है. भायखला से शुरू हुआ ये जुलूस मुंबई के आजाद मैदान पहुंचा.
इस आंदोलन के समर्थन में मुंबई के डब्बा वालों ने अपना काम बंद रखा. मुंबई के सभी स्कूल और कॉलेज भी बंद कर दिए गए.सड़कों पर मराठा क्रांति मोर्चा के लाखों आंदोलनकारियों की मौजूदगी से मुंबई की रफ्तार भी थम गई. मुंबई पुलिस को हालात का अंदाज़ा पहले से था, इसलिए पुलिस ने लोगों को आगाह कर दिया था कि अगर बहुत जरूरी ना तो मुंबई का रुख ना करें.
मराठा आंदोलन के एक साल पूरे होने पर अपनी ताकत का एहसास कराने के लिए महाराष्ट्र के अलग-अलग इलाकों से लोग मुंबई पहुंचे हुए हैं. रेलवे ने मराठा क्रांति मोर्चा की भीड़ के मद्देनजर कई ट्रेनों में अतिरिक्त बोगियां लगाई हैं. मुंबई-पुणे और मुंबई ठाणे हाइवे पर भी ट्रैफिक का भारी दबाव है.
मराठा क्रांति मोर्चा शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समाज के लोगों को 16 फीसदी आरक्षण देने की मांग कर रहा है. चेतावनी भी दी जा रही है कि अगर उनके मौन आंदोलन को नजरअंदाज़ किया गया, तो सरकार को अंजाम भुगतना होगा. मराठा क्रांति मोर्चा अब तक महाराष्ट्र के 57 शहरों और कस्बों में निकाली जा चुकी है.
पूरी दुनिया में अपनी तरह का ये पहला आंदोलन है, जिसमें सड़कों पर लाखों की भीड़ उमड़ती है और फिर भी कोई हिंसा या बवाल नहीं होता. अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि अब तक इस आंदोलन में महाराष्ट्र के अलग-अलग शहरों में करीब 2 करोड़ लोग शामिल हो चुके हैं.
मराठा आंदोलन से सरकार धर्मसंकट में है, क्योंकि आरक्षण देने पर दूसरे राज्यों में भी आरक्षण की मांग तेज़ होने का खतरा है और ना मानने पर मराठा नाराज़ होंगे. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा है कि सरकार ने मराठा आरक्षण के लिए कमेटी बना दी है, जो तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी.