नई दिल्ली: मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में शिया वक्फ बोर्ड के हलफनामे के बाद रामजन्म भूमि विवाद सुलझने की उम्मीद जगी थी लेकिन बुधवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मामले को फिर फंसा दिया है. सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि हाई कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान को हिस्सेदार बनाया था. सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ये भी कहा कि 1946 में ही फैसला हो चुका है कि बाबरी मस्जिद सुन्नी मस्जिद है.
सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश हुए वकील अनूप चौधरी ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड ने जो हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दिया है उससे हमारा कोई संबंध नहीं है. दरअसल शिया वक्फ बोर्ड ने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में दलफनामा दायर कर कहा था कि अगर उन्हें कोई दूसरी जगह मस्जिद बनाने के लिए दे दी जाती है तो हम राम जन्मभूमि से अपना दावा छोड़ सकते हैं.
गौरतलब है कि शिया वक्फ बोर्ड इस जमीन को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड से 1945 में ही केस हार गया था और तब से राम जन्मभूमि पर चल रहे केस में मुसलमानों का पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड ही रख रहा है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ रामलला विराजमान और हिन्दू महासभा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. सुन्नी वक्फ बोर्ड भी कोर्ट पहुंचा. फिर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर अमल रोक दिया. यही सुनवाई 11 अगस्त से शुरू हो रही है.