अहमद पटेल की जीत: कांग्रेस के 10 बागियों पर अकेले भारी पड़े BJP के बागी नलिन कोटाडिया

गुजरात की 3 राज्यसभा सीटों के चुनाव में अमित शाह और स्मृति ईरानी के साथ-साथ बलवंत सिंह की जीत के लिए बीजेपी ने कांग्रेस में हाहाकार मचा दिया था लेकिन कांग्रेस के 10-10 बागी विधायकों पर बीजेपी का एक विधायक भारी पड़ा जिसके वोट से अहमद पटेल तीसरी सीट ले उड़े.

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अहमद पटेल की जीत: कांग्रेस के 10 बागियों पर अकेले भारी पड़े BJP के बागी नलिन कोटाडिया

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  • August 8, 2017 10:31 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
नई दिल्ली. गुजरात की 3 राज्यसभा सीटों के चुनाव में अमित शाह और स्मृति ईरानी के साथ अपने तीसरे कैंडिडेट बलवंत सिंह राजपूत की जीत के लिए बीजेपी ने कांग्रेस में हाहाकार मचा दिया था लेकिन कांग्रेस के 10-10 बागी विधायकों पर बीजेपी का एक विधायक भारी पड़ा जिसके वोट से अहमद पटेल तीसरी सीट ले उड़े.
 
गुजरात विधानसभा में 121 विधायकों वाली बीजेपी के एकमात्र विधायक नलिन कोटाडिया ने पार्टी व्हिप को अनसुना करते हुए क्रॉस वोटिंग की और कांग्रेस के अहमद पटेल का साथ दिया.
 
कोटाडिया का ये एक वोट ही अहमद पटेल की जीत का कारण बना जिनको उनकी अपनी पार्टी के 10 विधायकों ने वोट नहीं दिया. कोटाडिया गुजरात परिवर्तन पार्टी के टिकट पर पिछला चुनाव जीते थे लेकिन बाद में उनकी पार्टी का भाजपा में विलय हो गया था.
 
अगर नलिन कोटाडिया का वोट अहमद पटेल को नहीं मिलता तो गुजरात से राज्यसभा की तीसरी सीट के लिए दूसरी वरीयता के मतों की गिनती होती और उसमें अहमद पटेल निश्चित रूप से बीजेपी के बलवंत सिंह राजपूत से हार जाते.
 
 
पहली वरीयता के मतों से जीत के लिए निर्धारित मत नहीं मिलने पर दूसरी वरीयता के मत गिने जाते हैं और उसमें दो मत मिलाकर एक मत हो जाता है. पहली वरीयता की गिनती में ही नतीजा हो जाए इसके लिए पहली वरीयता के निर्धारित वोट जुटाने होते हैं. 
 
गुजरात विधानसभा के मामले में वोटिंग होने तक जीत के लिए वोट की ये संख्या 45 थी लेकिन जब कांग्रेस ने अपने दो बागियों का वोट चुनाव आयोग से इस आधार पर खारिज करा दिया कि उन्होंने बीजेपी नेताओं को दिखाकर वोट डाले हैं तो जीत का आंकड़ा गिरकर 44.50 हो गया. वोट में आधा कोई नंबर होता नहीं है इसलिए जीत के लिए वोट की संख्या 44 फिक्स हो गई.
 
 
अहमद पटेल को कुल 44 वोट ही मिले. ना एक ज्यादा और ना एक कम. नलिन कोटाडिया को हटा दें तो उनको 43 वोट आते. 44 से कम वोट आने की हालत में दूसरी वरीयता के मत गिने जाते जिसमें बलवंत भारी पड़ते क्योंकि बीजेपी के 121 विधायकों में नलिन को छोड़ भी दें तो बाकी सबने बलवंत को दूसरी वरीयता का वोट दिया होगा.
 
अहमद पटेल को कांग्रेस के 41 विधायकों के अलावा जेडीयू और एनसीपी के एक-एक विधायक ने भी वोट दिया. एनसीपी के दूसरे विधायक ने बीजेपी को वोट दिया. 
 
तीसरी सीट के लिए अहमद पटेल से लड़ रहे बीजेपी कैंडिडेट बलवंत सिंह राजपूत को 38 वोट मिले. बलवंत जुलाई के आखिरी सप्ताह में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे और बीजेपी ने उनको अहमद पटेल का रास्ता रोकने के लिए चुनाव में उतारा था.
 
 
वोटिंग के बाद धारी सीट से बीजेपी विधायक कोटाडिया ने खुलेआम कहा था कि गुजरात सरकार ने पाटीदारों समाज के 14 लोगों की हत्या की है इसलिए उन्होंने पाटीदारों के दमन के विरोध में बीजेपी के खिलाफ अहमद पटेल को वोट दिया है. नलिन का वोट ही अहमद पटेल की जीत में निर्णायक साबित हुआ. 

 
गुजरात में बीजेपी के 121, कांग्रेस के 57, एनसीपी के 2, जेडीयू के 1 और 1 निर्दलीय विधायक थे. 182 सदस्यों वाली गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के 6 विधायकों के इस्तीफे के बाद 176 विधायक वोटर बचे हैं.
 
 
बीजेपी के पास 121 विधायक हैं तो बीजेपी के तीन कैंडिडेट अमित शाह, स्मृति ईरानी और बलवंत सिंह राजपूत में अमित शाह और स्मृति ईरानी का जीतना तय था. सारा पेंच तीसरी सीट पर फंसा था जिसके लिए कांग्रेस के अहमद पटेल और बीजेपी के बलवंत सिंह राजपूत भिड़े थे. 
 
कांग्रेस के पास बचे 51 विधायकों में 10 ने स्पष्ट रूप से अहमद पटेल को वोट नहीं दिया क्योंकि उन्हें कांग्रेस के 41 वोट ही मिले. इन 51 में 7 तो कर्नाटक गए भी नहीं थे. कांग्रेस के जो 44 MLA कर्नाटक गए थे उनमें 1 करम सिंह पटेल ने वोटिंग के वक्त पलटी मार दी जबकि दो का बीजेपी नेताओं को दिखाकर वोट करना आखिरकार अहमद पटेल के लिए संजीवनी का काम कर गया.
 

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