सिर्फ आधा वोट से हो गया बड़ा खेल, 2 वोट कैंसिल ना होते तो पटेल हो जाते फेल

नई दिल्ली. गुजरात की 3 राज्यसभा सीटों के चुनाव में वोटिंग के बाद से आधी रात काउंटिंग तक चले हाई वोल्टेज ड्रामा के बाद जीते कांग्रेस नेता अहमद पटेल महज आधा वोट से जीते. अगर कांग्रेस की मांग पर चुनाव आयोग दो बागी विधायकों के वोट कैंसिल नहीं करता तो पटेल गुजरात के पावरप्ले में फेल हो जाते.
182 सदस्यों वाली गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के 6 विधायकों के इस्तीफे के बाद 176 विधायक वोटर बचे थे. तीन सीट पर जीत के लिए कैंडिडेट को कम से कम 45 विधायकों का वोट चाहिए था. कांग्रेस 44 विधायकों को कर्नाटक भेजकर निश्चिंत थी कि अहमद पटेल जीत जाएंगे क्योंकि उनको एनसीपी और जेडीयू के विधायक का वोट मिलने का भरोसा भी था.
बीजेपी के पास 121 विधायक हैं तो बीजेपी के तीन कैंडिडेट अमित शाह, स्मृति ईरानी और बलवंत सिंह राजपूत में अमित शाह और स्मृति ईरानी का जीतना तय था. सारा पेंच तीसरी सीट पर फंसा था जिसके लिए कांग्रेस के अहमद पटेल और बीजेपी के बलवंत सिंह राजपूत भिड़े थे.
वोटिंग के समय कांग्रेस के 44 में से 1 विधायक करम सिंह पटेल ने पलटी मार दी. इससे सदमे में आई कांग्रेस को नई रणनीति बनानी पड़ी. इसमें मदद की कांग्रेस के 8 बागी विधायकों में से 2 विधायकों भोला भाई गोहिल और राघव भाई पटेल ने. दोनों ने वोट देने के बाद उसकी नुमाइश बीजेपी नेताओं के सामने कर दी जिसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस चुनाव आयोग चली गई.
कांग्रेस की ऐसे ही मामलों में चुनाव आयोग के पहले के फैसले की दलील और वोटिंग का वीडियो फुटेज देखने के बाद आयोग ने भोला भाई गोहिल और राघव भाई पटेल का वोट कैंसिल कर दिया. इससे कुल वोटरों की संख्या गिरकर 174 पर आ गई और जीत के लिए जरूरी वोटों की संख्या भी गिरकर 45 की बजाय 44.50 पर आ गई.
चूंकि वोट आधे होते नहीं इसलिए राउंड फिगर में जीत के लिए जरूरी वोटों की संख्या 45 से गिरकर 44 फिक्स गई. अहमद पटेल को 44 ही वोट मिले और वो इस तरह हारते-हारते जीत गए. कांग्रेस के विधायकों ने तो अहमद पटेल को हराने की कोशिश में कोई कसर नहीं रखी थी लेकिन कांग्रेस के 10 बागी विधायकों पर बीजेपी के इकलौते बागी नलिन कोटाडिया भारी पड़ गए.
नलिन कोटाडिया ने वोट देने के बाद खुलेआम कहा था कि गुजरात सरकार ने पाटीदारों समाज के 14 लोगों की हत्या की है इसलिए उन्होंने पाटीदारों के दमन के विरोध में बीजेपी के खिलाफ अहमद पटेल को वोट दिया है. नलिन का वोट ही अहमद पटेल की जीत में निर्णायक साबित हुआ.
अगर पटेल को नलिन कोटाडिया का ये 1 वोट नहीं मिलता तो चुनावी नियमों के अनुसार दूसरी वरीयता के मतों की गिनती होती और उसमें बलवंत सिंह राजपूत अहमद पटेल पर बहुत भारी पड़ते क्योंकि बीजेपी के 121 विधायकों में नलिन को छोड़ भी दें तो बाकी सबने बलवंत सिंह को दूसरी वरीयता का वोट दिया होगा. दूसरी वरीयता के मतों की गिनती में दो मतों को मिलाकर एक गिना जाता है.
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