नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने देशभर के 39 मिलिट्री फॉर्म्स बन्द करने का फैसला लिया है. पिछले महीने ही कैबिनेट की कमेटी ने सेना को आदेश जारी करते हुए 3 माह के अंदर इन गौशालाओं को बंद करने को कहा है.
सरकार ने जिन फार्म को बंद करने का आदेश दिया है उसमें देश की सबसे अच्छी नस्ल की गाय मौजूद हैं. इन 39 सैन्य फार्म में लगभग 20 हजार गाय हैं और लगभग 2500 कर्मचारी यहां काम करते हैं. द देलीग्राफ में छपी खबर के मुताबिक सरकार का मानना है कि देश में अब इतने प्राइवेट डेयरी और दूध का कारोबार बढ़ गया है कि सेना को फार्म की जरूरत नहीं है. प्राइवेट डेयरी के जरिए सेना को दूध मुहैया कराया जा सकता है.
आईसीएआर यानी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने दुख जताया है क्योंकि वो तीस साल से आर्मी के साथ मिलकर गाय की ज्यादा दूध देने वाली नस्लें तैयार कर रहे थे. ये लोग सरकार से कहेंगे कि कम से कम 10 फार्म्स चलाए जाएं ताकि ये 20 हजार गाय रह सकें. क्योंकि सैन्य फार्म में रहने वाली गायों को स्पेशल पोषण और प्रबंधन की आवश्यकता पड़ती है.
इस संबंध में ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ डिफेंस वर्कर्स के जनरल सेक्रेटरी एमबी सिंह ने रक्षा मंत्रालय के अधिकारियो के साथ बैठक करने की बात कही है, उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे पर फिर से विरोध करने की योजना बना रहे हैं. इस संबंध में साल 2013 में भी तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटनी को पत्र लिखकर गौशालयों को बंद न करने की मांग की गई थी. जबकि फेडरेशन के डिप्टी जनरल सेक्रेटरी मुकेश सिंह ने कहा कि यह निराशाजनक है कि भारत सरकार हजारों गायों के बारे में चिंतित नहीं है.
सरकार के इस फैसले से जिन फार्मों पर फर्क पड़ेगा उनमें मेरठ, झांसी, कानपुर, अंबाला जैसे कई बड़े शहर शामिल हैं. हालांकि सरकार के इस फैसले के बाद बहुत सारे सवाल खड़े हो गए कि इन फार्म के बंद हो जाने के बाद उनमे रह रहीं लगभग 20 हजार गायों का क्या होगा. सरकार की ओर से भी स्पष्ट नहीं किया गया है.