नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने महात्मा गांधी के बाद अब स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को ब्रिटिश एजेंट बताया है. काटजू ने लिखा है कि तिलक एक दकियानूस और चरमपंथ हिन्दू विचार के प्रचारक थे. काटजू ने अपनी फेसबुक पेज पर लिखा कि उन्हें पता है कि ऐसा […]
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने महात्मा गांधी के बाद अब स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को ब्रिटिश एजेंट बताया है. काटजू ने लिखा है कि तिलक एक दकियानूस और चरमपंथ हिन्दू विचार के प्रचारक थे.
काटजू ने अपनी फेसबुक पेज पर लिखा कि उन्हें पता है कि ऐसा कहने के लिए उन्हें गालियां भी मिल सकती हैं लेकिन राष्ट्रीय हित में सच सामने रखना जरुरी हो जाता है. काटजू ने लिखा, “मेरा मानना है कि तिलक दकियानूस, हिंदू अतिवादियों के प्रचारक और एक ब्रिटिश एजेंट थे. इस बात की पुष्टि उनकी टिप्पणी, विचाराधारा और काम से की जा सकती है.”
काटजू ने तिलक के कार्यों का हवाला देते हुए लिखा है कि तिलक ने घर के अंदर होने वाली गणपति की पूजा को 1894 से पूरे महाराष्ट्र में सार्वजनिक समारोह बनाने की शुरुआत की. इन कार्यक्रमों में हिंदुओं से गायों की रक्षा और मुहर्रम में भाग न लेने की अपील की जाती थी.
काटजू ने कहा कि अब लोग मुझसे सवाल करेंगे कि तिलक तो स्वराज की बात करते थे फिर वह कैसे ब्रिटिश एजेंट हुए. इस पर काटजू ने कहा है कि तिलक या गांधी को ब्रिटिश सरकार से कोई पैसा नहीं मिलता था लेकिन उनके काम ब्रिटिश सरकार की फूट डालो-राज करो की नीति को आगे बढ़ाते थे.
काटजू की पूूरी पोस्ट पढ़िए-
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Posted by Markandey Katju on Friday, July 31, 2015