नई दिल्ली. 1993 मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेनन की फांसी के बाद शुरु हुई सजा-ए-मौत पर चली बहस में अब बीजेपी नेता और सुल्तानपुर से सांसद वरुण गांधी ने भी मोर्चा संभाल लिया है. वरुण ने एक अंग्रेजी पत्रिका में लिखे लेख में सजा-ए-मौत को खत्म करने की वकालत की है. नैशनल रिसर्च काउंसिल की एक […]
नई दिल्ली. 1993 मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेनन की फांसी के बाद शुरु हुई सजा-ए-मौत पर चली बहस में अब बीजेपी नेता और सुल्तानपुर से सांसद वरुण गांधी ने भी मोर्चा संभाल लिया है. वरुण ने एक अंग्रेजी पत्रिका में लिखे लेख में सजा-ए-मौत को खत्म करने की वकालत की है.
नैशनल रिसर्च काउंसिल की एक रिसर्च का हवाला देते हुए वरुण ने बताया है कि सजा-ए-मौत पाए 75 फीसदी लोग समाज के कमजोर वर्ग से आते हैं, 94 फीसदी दोषी दलित हैं या अल्पसंख्यक समुदाय से हैं .
वरुण ने राजगुरु से लेकर शहनवाज खान, गुरबख्श सिंह ढिल्लन और प्रेम सहगल को लाल किले पर दी गई फांसी की बात करते हुए लिखा है कि हर दौर में तानाशाह होते हैं. बीजेपी सांसद ने लिखा कि भारत फांसी की सजा सुनाने वाले 55 देशों की लिस्ट में टॉप 10 में है इसका कारण 2014 में भारतीय अदालतों ने 64 लोगों को फांसी की सजा सुनाना है.
वरुण ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी को कोट करते हुए लिखा है कि 1973-1995 के बीच 5760 केस में 70 फीसदी कोई ना कोई गलती जरुर हुई है. इससे पहले आतंकी याकूब मेमन की मर्सी पिटीशन पर साइन करने के लिए बीजेपी नेता शत्रुघ्न सिन्हा को पार्टी के भीतर से ही आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि याकूब की मर्सी पिटीशन पर साइन करके शत्रुघ्न ने बीजेपी को शर्मसार किया है.