नई दिल्ली. मोदी सरकार ने बुधवार को चुनाव संबंधी कानूनों में संशोधन कर विदेशों में रहने वाले 1 करोड़ 60 लाख भारतीयों को प्रॉक्सी वोटिंग की सुविधा देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. अगर प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में पास हो जाता है तो अप्रवासी यानी कि एनआरआई प्रॉक्सी के माध्यम से अपने वोट के अधिकारों का प्रयोग करने में सक्षम होंगे. अभी केवल सैन्य कर्मियों को प्रॉक्सी के माध्यम से वोट करने की अनुमति है.
हालांकि, एनआरआई के लिए सुविधा उस तरह नहीं होगी, जैसी सेवा कर्मियों को दी जाती है. उदाहरण के लिए, सशस्त्र बलों के वोटर्स अपने रिश्तेदारों को अपनी ओर से वोट देने के लिए स्थायी प्रॉक्सी के रूप में नामित कर सकते हैं. मगर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाज भी एनआरआई प्रॉक्सी वोट के लिए सभी चुनावों में एक स्थायी प्रॉक्सी नामित नहीं कर सकते हैं.
इसके तहत प्रवासी मतदाताओं को प्रत्येक चुनाव के लिए एक नॉमिनी को नियुक्त करना होगा. एक व्यक्ति केवल एक ही प्रवासी मतदाता के लिए प्रॉक्सी के रूप में कार्य कर सकता है.
मत्रिमंडल की मंजूरी के बाद सूत्रों ने कहा कि इस कदम को जल्द प्रभावी बनाने के लिए उचित नियम और दिशानिर्देश तैयार किए जाएंगे. वर्तमान में, विदेशों में रहने वाले मतदाता केवल अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में वोट डाल सकते हैं, जहां उनका रजिस्ट्रेशन है. बता दें कि विदेशों में रहने वाले हजारों भारतीय वोटर्स पंजीकृत हैं. यहां केरल के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. ये प्रवासी सिर्फ वोट डालने के लिए भारी राशि खर्च कर भारत नहीं आना चाहते.
इस मुद्दे पर काम कर रही चुनाव आयोग के विशेषज्ञों की एक समिति ने वर्ष 2015 में विदेशों में बसे भारतीयों को प्रॉक्सी मतदान की सुविधा उपलब्ध करवाने की खातिर चुनाव संबंधी कानूनों में संशोधन के लिए कानून मंत्रालय को कानूनी रूपरेखा भेजी थी. हालांकि, साल 2014 में इसे चुनाव आयोग ने प्रवासी मतदाताओं के मामले को गंभीरता से लिया था.
एक रफ आंकड़ों की बात करें तो करीब 1 करोड़ 60 लाख भारतीय विदेशों में रहते हैं, जिनमें से 60 लाख वोट करने की उम्र सीमा के योग्य हैं. वे चुनाव के नतीजे को प्रभावित कर सकते हैं, विशेष रूप से पंजाब, गुजरात और केरल जैसे राज्यों में.
बता दें कि अभी इसे सिर्फ कैबिनेट की मंज़ूरी मिली है. इस प्रॉक्सी वोटिंग अधिकार बिल को अभी लोकसभा और राज्यसभा से मंज़ूरी मिलना बाकी है. लोकसभा और राज्यसभा में यह बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास जाएगा और उनके हस्ताक्षर के बाद ये कानून अस्तित्व में आएगा.