नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को रेपो रेट में की 0.25 फीसदी कटौती की है. आरबीआई ने मौद्रिक समीक्षा के बाद तत्काल प्रभाव से रेपो रेट को 6.25 प्रतिशत से घटाकर 6.0 प्रतिशत कर दिया है.
वहीं, अब रिवर्स रेपो रेट की दर 6 फीसदी से घटकर अब 5.75 प्रतिशत पर आ गया है. अब रेपो रेट में इस बदलाव से लोन की ईएमआई कम हो सकती है. साथ ही बैंक अपनी दरों में कटौती कर सकती है.
6 सदस्यों की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में ये फैसला लिया गया, जिसकी अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल कर रहे थे. बताया जा रहा है कि ये कटौती महंगाई दर कम होने के कारण की गई है.
आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती महंगाई से संबंधित सभी मुद्दों को ध्यान में रखकर उठाया गया कदम है. जीएसटी और अच्छे मॉनसून की वजह से महंगाई में कमी आई है.
बता दें कि जनवरी 2015 के बाद से अब तक करीब 8 बार इन दरों में फेरबदल किया जा चुका है. कटौती के फैसले के बाद आरबीआई ने कहा है कि बैंक ब्याज दरों में कटौती का सीधा फायदा ग्राहकों को दें.
रेपो रेट- रोजमर्रा के कामकाज के लिए बैंकों को भी बड़ी रकमों की ज़रूरत पड़ जाती है और ऐसी स्थिति में उनके लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ऋण लेना सबसे आसान विकल्प होता है. इस तरह के ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से कॉमर्शियल बैंकों से ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं
रिवर्स रेपो रेट- अल्पकालिक अवधि के लिए RBI द्वारा कॉमर्शियल बैंको से जिस ब्याज दर पर नकदी प्राप्त की जाती है, ‘रिवर्स रेपो दर’ उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है. बता दें कि रिजर्व बैंक भी अन्य बैंकों से अपने कामकाज के लिए पैसे उधार लेती है. रिवर्स रेपो रेट उसी प्रक्रिया को कहा जाता है.