नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद आपने ये सुना होगा और देखा भी होगा जब कई जगहों से नोटों की गड्डियां, बोरे में भरी गड्डियां पकड़ी जा रही थी. लेकिन तब लोग ये सवाल उठा रहे थे कि ठीक है आपने नोट तो पकड़ लिया लेकिन उस फ्लैट को कैसे खोजेंगे और ज़प्त करेंगे जो किसी परिवार के किसी और सदस्य के नाम पर है या किसी कामवाले के नाम पर है.
उस प्लॉट का पता कैसे लगाएंगे जो किसी तीसरे के नाम पर ले रखा है. उस गहने-जेवरात का क्या होगा जिसे सेफ में भर-भरकर छिपा कर रखा है. लेकिन नोटबंदी के बाद अब ऐसे मामलों का तेजी से खुलासा हो रहा है. सरकार की बड़ी एजेंसियों में से एक ED यानी इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट ने 12 हजार करोड़ की संपत्ति सिर्फ पिछले 15 महीने में जब्त की है.
ईडी ने ऐसा कर अपने दस साल के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया है. नोटबंदी में तो हमको-आपको सबको पता चला. बड़े नोट बंद हो गए. काले धन पर हुई इस सर्जिकल स्ट्राइक में बेनामी संपत्ति पर बहुत बड़ा हमला हुआ है. इस स्ट्राइक में 12 हजार करोड़ . जी हां 12 हजार करोड़ की संपत्ति सिर्फ पिछले 15 महीने में जब्त की गई है.
सवाल ये है कि 12 हजार करोड़ की ये संपत्ति किसकी है. ये संपत्ति कैसे जब्त हुई. जब्त किसने की, कैसे की, और संपत्ति जब्त करने का मतलब क्या है ? क्या किसी का फ्लैट, फॉर्म हाउस, अटैच कर लिया गया. जैसा आप समाचार पत्रों में पढ़ते हैं. तो वो सरकार की हो गई या तरीका कुछ और होता है.
ये कुबेर का खजाना जैसा ही तो है, फर्क सिर्फ ये है कि कुबेर ने काली कमाई करके खजाना नहीं बनाया. जबकि आज के धनकुबेर काली कमाई से अपना खजाना भर रहे हैं . हमारा-आपका हक-हकूक मारकर. ऐसे धनकुबेर खड़े होते जा रहे हैं. मध्य प्रदेश में अभी-अभी एक क्लर्क के यहां से करीब 10 करोड़ की संपत्ति मिली है.
छापा मारने गई लोकायुक्त की टीम को पैसे गिनने के लिए मशीनों की खेप मंगानी पड़ी है. शर्राफा एक्सपर्ट बुलाने पड़े है. ताकि घर में पड़े जेवर की सही कीमत का अंदाजा लगाया जा सके. ये तो एक कलर्क की बात है. लेकिन देश में ऐसे धनपशु भरे पड़े हैं. जिन्होंने अवैध तरीके से अरबों की कमाई बनाई है.