नई दिल्ली: चालबाज चीन जंग हारने के डर से हेकड़ी दिखाने पर उतारू है. डोकलाम में हिंदुस्तान की सेना के हौसले ने ड्रैगन सैनिकों के पैरों में ऐसी बेड़ियां जकड़ीं कि उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम है. हिंदुस्तान ने साफ कह दिया है कि पीछे हटोगे तो हम भी हटेंगे वरना तुम्हारी आंखों में आंखे डाल कर यूं ही डटे रहेंगे.
ऐसे में बौखलाहट का आलम ये है कि चीन के राष्ट्रपति गाहे-बगाहे हिंदुस्तान को धमका रहे हैं. अपनी जमीन पर घुसपैठ का झूठा प्रपंच और अपनी जमीन का एक टुकड़ा भी किसी को नहीं देने का बेतुका दंभ भर रहे हैं. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं देंगे. अब उनको कौन बताए कि चीन की एक इंच भी जमीन हमें नहीं चाहिए.
हां लेकिन एक इंच भी इधर बढ़े तो फिर खैर नहीं . चीन कितना चालाक है, शातिर है, धोखेबाज है उसकी एक बानगी मैप के जरिए आपको समझाते हैं. दुनिया का एकमात्र देश चीनयुद्ध से पहले ही तय है चीन की हार क्योंकि चीनी फौज को मुकाबले कि लिए चाहिए 110 डिवीजन ही है जिसका सभी पड़ोसियों से सीमा विवाद चल रहा है.
पड़ोसियों की बात कौन करे चीन की सरहद से हजारो किलोमीटर दूर के देशों से भी वो उलझता रहा है. उनकी जमीन पर अपना दावा ठोकता रहा है. चीन का कहना है कि तजाकिस्तान पर 1644 से 1912 के बीच चीन के किंग राजवंश का शासन रहा है. इस लिहाज से तजाकिस्तान पर उसका हक है. किर्गिस्तान में भी चीन ने अपनी दावेदारी ठोक रखी है.
चीन कहता है कि किर्जिगिस्तान के बड़े हिस्से पर उसका अधिकार है. सीमा समझौता होने के बावजूद साल 1963 से चीन अफगानिस्तान के बड़े भूभाग पर अपना आधिपत्य जता रहा है. 1271 से 1368 के बीच चीन के युआन राजवंश के समय बर्मा चीन का हिस्सा हुआ करता था.
उसी इतिहास को आधार मानकर चीन बर्मा के एक बड़े भूभाग पर अपनी दावेदारी दिखाता है. चीन का कहना है कि युआन राजवंश के शासनकाल में लाओस पर उसका अधिकार था. चीन कहता है कि वियतनाम पर 1368 से 1644 के बीच चीन के मिग राजवंश का शासन था. इसीलिए वियतनाम पर चीन का हक है ।यूं तो चीन के नॉर्थ कोरिया से अच्छे संबध हैं. लेकिन बावजूद इसके नॉर्थ कोरिया के जिन्दाओं इलाके पर चीन अपनी दावेदारी जताता है.